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ऑपरेशन सिंदूर का सबसे छोटा योद्धा! 10 साल के श्रवण सिंह ने फिरोजपुर में दिखाया ऐसा जज्बा, भारतीय सेना ने किया सम्मान!

सेना ने श्रवण को ‘ऑपरेशन सिंदूर का सबसे युवा नागरिक योद्धा’ का खिताब दिया, जो देशभक्ति और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक बन गया. यह सम्मान न सिर्फ श्रवण के लिए, बल्कि हर उस बच्चे के लिए प्रेरणा है, जो अपने छोटे-छोटे प्रयासों से देश की सेवा करना चाहता है.

सबसे छोटा योद्धा सबसे छोटा योद्धा

क्या आपने कभी सुना है कि एक 10 साल का बच्चा युद्ध जैसे हालात में सैनिकों का हौसला बन सकता है? पंजाब के फिरोजपुर जिले के तारा वाली गांव में एक छोटा सा बालक, श्रवण सिंह, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देश का सबसे छोटा योद्धा बन गया! जब भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव चरम पर था और भारतीय सेना के जवान गर्मी की तपिश में डटकर मुकाबला कर रहे थे, तब इस नन्हे सिपाही ने बिना हथियार, बिना वर्दी, सिर्फ अपने जज्बे से सैनिकों का दिल जीत लिया.

पानी, दूध, लस्सी और बर्फ लेकर रोज सैनिकों तक पहुंचने वाले श्रवण को भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर का सबसे युवा नागरिक योद्धा’ का सम्मान दिया! 

तारा वाली गांव में ऑपरेशन सिंदूर का मंजर
पंजाब का तारा वाली गांव, जो भारत-पाकिस्तान सीमा के करीब बसा है, मई 2025 में एक युद्धक्षेत्र जैसा बन गया था. ऑपरेशन सिंदूर, जो अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले (जिसमें 26 लोग मारे गए थे) के जवाब में शुरू हुआ, हाल के वर्षों का सबसे बड़ा सैन्य अभियान था. सैनिकों के बूट गांव के खेतों में नई लकीरें खींच रहे थे. ड्रोन हमलों, गोलीबारी और हवाई सायरनों के बीच गांव में तनाव था. लेकिन इस सबके बीच एक 10 साल का बच्चा, श्रवण सिंह, नन्हा सिपाही बनकर उभरा.

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श्रवण, स्थानीय किसान सोना सिंह का बेटा, सपना देखता है कि वह बड़ा होकर भारतीय सेना में शामिल होगा. जब सेना उसके परिवार के खेतों पर डेरा डाले थी, श्रवण ने ठान लिया कि वह सैनिकों की मदद करेगा. बिना डरे, बिना रुके, वह रोज अपने छोटे-छोटे हाथों में पानी, दूध, लस्सी और बर्फ लेकर सैनिकों तक पहुंचा. गर्मी की तपिश में, जब डर हर दिल को छू रहा था, श्रवण की यह नन्ही सी कोशिश सैनिकों के लिए उम्मीद की किरण बन गई.

“मुझे डर नहीं लगा, मैं फौजी बनना चाहता हूं!”
श्रवण की मासूमियत और जज्बे ने सबको हैरान कर दिया. उसने कहा, “मुझे डर नहीं लगा. मैं बड़ा होकर फौजी बनना चाहता हूं. मैं सैनिकों के लिए पानी, लस्सी और बर्फ ले जाता था. वे मुझे बहुत प्यार करते थे.” उसकी इस नन्ही सी सेवा ने सैनिकों का हौसला बढ़ाया और उन्हें याद दिलाया कि देश का भविष्य उनके साथ खड़ा है.

श्रवण के पिता, सोना सिंह, अपने बेटे की हिम्मत देख गर्व से फूले नहीं समाए. उन्होंने बताया, “सेना हमारे खेतों पर थी. पहले दिन से श्रवण ने उनकी मदद शुरू कर दी- दूध, पानी, लस्सी, बर्फ. वह एक भी दिन नहीं चुका. हमने उसका साथ दिया, और उसने सैनिकों का.” यह बंधन न सिर्फ सैनिकों और श्रवण के बीच, बल्कि पूरे गांव और सेना के बीच एक मिसाल बन गया.

सेना ने किया भव्य सम्मान
श्रवण की इस अनोखी सेवा को भारतीय सेना ने दिल से सराहा. मेजर जनरल रंजीत सिंह मंराल, 7वीं इन्फैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, ने एक भव्य समारोह में श्रवण को सम्मानित किया. उसे एक स्मृति चिन्ह, विशेष भोजन और उसकी पसंदीदा चीज- आइसक्रीम दी गई. श्रवण ने मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे खाना और आइसक्रीम मिली. मैं बहुत खुश हूं. मैं फौजी बनकर देश की सेवा करना चाहता हूं.”

सेना ने श्रवण को ‘ऑपरेशन सिंदूर का सबसे युवा नागरिक योद्धा’ का खिताब दिया, जो देशभक्ति और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक बन गया. यह सम्मान न सिर्फ श्रवण के लिए, बल्कि हर उस बच्चे के लिए प्रेरणा है, जो अपने छोटे-छोटे प्रयासों से देश की सेवा करना चाहता है.

गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर 7 मई 2025 को शुरू हुआ था, जब भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने मिलकर पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि इस अभियान में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए. फिरोजपुर जैसे सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन हमलों और गोलीबारी ने तनाव बढ़ा दिया था. लेकिन ऐसे माहौल में श्रवण जैसे नन्हे योद्धा ने दिखाया कि देशभक्ति की कोई उम्र नहीं होती.