
क्या आपने कभी सुना कि पीरियड्स की छुट्टी लेने के लिए किसी को अपनी निजता तार-तार करनी पड़ी? चीन की गेंगदान इंस्टीट्यूट ऑफ बीजिंग यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में कुछ ऐसा ही हुआ है. ऐसा कारनामा कर दिखाया, जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया! एक छात्रा ने मासिक धर्म की तकलीफ के चलते बीमारी की छुट्टी मांगी, तो यूनिवर्सिटी ने कहा, “साबित करके दिखाओ कि तुम्हें पीरियड्स हैं!” और साबित करने का तरीका? कपड़े उतारकर क्लिनिक में चेक करवाओ!
“हर लड़की को कपड़े उतारने होंगे?”
15 मई को गेंगदान इंस्टीट्यूट की एक छात्रा ने एक ऐसा वीडियो पोस्ट किया, जिसने इंटरनेट पर तूफान ला दिया. वीडियो में वह यूनिवर्सिटी के क्लिनिक में एक महिला स्टाफ से सवाल करती दिख रही है: “तो आप कह रही हैं कि पीरियड्स की छुट्टी के लिए हर लड़की को अपनी पैंट उतारकर आपको दिखाना होगा?”
जवाब में स्टाफ ने बेशर्मी से कहा, “हां, बिल्कुल! यह मेरा नियम नहीं, यूनिवर्सिटी का नियम है!” छात्रा ने इस नियम का लिखित सबूत मांगा, लेकिन स्टाफ चुप हो गई और उसे अस्पताल जाकर सर्टिफिकेट लाने को कह दिया. यह वीडियो वीबो, डोयिन (चीन का टिकटॉक), और शियाओहोंगशु पर वायरल हो गया, और लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया.
यूनिवर्सिटी ने कहा हमने तो नियम फॉलो किया!
16 मई को गेंगदान इंस्टीट्यूट ने बयान जारी कर सफाई दी कि उनके स्टाफ ने “नियमों का पालन” किया. यूनिवर्सिटी ने दावा किया कि कोई शारीरिक जांच या उपकरण इस्तेमाल नहीं हुए, और छात्रा की सहमति से ही “डायग्नोसिस” की गई. लेकिन यह सफाई किसी के गले नहीं उतरी. यूनिवर्सिटी ने वीडियो को “गलत तरीके से पेश किया गया” बताकर इसे पोस्ट करने वालों पर मुकदमा करने की धमकी भी दी.
एक स्टाफ, जिसका सरनेम शू बताया गया, ने CNR न्यूज को कहा, “कुछ छात्राएं बार-बार पीरियड्स का बहाना बनाकर छुट्टी लेती थीं. एक लड़की ने तो एक महीने में 4-5 बार छुट्टी मांगी! इसलिए यह नियम बनाया गया.” लेकिन क्या यह नियम निजता का उल्लंघन नहीं?
सोशल मीडिया पर भूचाल
चीन के सोशल मीडिया पर इस घटना ने आग लगा दी. वीबो पर एक यूजर ने लिखा, “अगर उन्हें लगता है कि छात्राएं बहाना बना रही हैं, तो बस एक रिकॉर्ड रख लो! इतना मुश्किल क्या है?” चाइना नेशनल रेडियो ने इसे “महिलाओं की निजता पर हमला” करार दिया और कहा, “मासिक धर्म पहले से ही एक संवेदनशील विषय है. ऐसे नियम छात्राओं की मानसिक सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं.”
शियाओहोंगशु पर एक छात्रा ने दावा किया, “यह पहली बार नहीं हुआ. पुरानी छात्राओं ने बताया कि पहले भी ऐसा हो चुका है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.” X पर एक यूजर ने लिखा, “यह नियम नहीं, तानाशाही है! लड़कियों को कपड़े उतारने के लिए मजबूर करना उत्पीड़न है.”
छात्रा की जिद
छात्रा ने हार नहीं मानी. उसने एक और वीडियो पोस्ट कर कहा, “अगर यूनिवर्सिटी लिखित में यह नियम दिखाए कि पीरियड्स साबित करने के लिए कपड़े उतारने पड़ते हैं, तो मैं अपना वीडियो हटा दूंगी. लेकिन अगर ऐसा कोई नियम नहीं है, तो मैं पीछे नहीं हटूंगी!” उसने बताया कि उसका डोयिन अकाउंट 30 दिन के लिए “अश्लील सामग्री” के बहाने सस्पेंड कर दिया गया.
बाद में उसने अस्पताल से जरूरी कागजात ले लिए और कहा, “मैं बस एक सम्मानजनक नीति चाहती हूं, ताकि महिलाएं अपनी तकलीफ में छुट्टी ले सकें.”