
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर सिंदूर का पौधा लगाया. इसे वनस्पति विज्ञान में मेलोटस फिलिफिंसिस (Melotus philippensis) कहा जाता है. यह पौधा अब सिर्फ सुहाग का नहीं, बल्कि शौर्य और परंपरा का प्रतीक भी बन गया है.
सिंदूर अब तक आस्था और सुहाग के प्रतीक के रूप मान्य रहा है. भारतीय सेना की पाकिस्तान को घुटने पर लाने वाली कार्रवाई के बाद 'सिंदूर' शौर्य का भी प्रतीक बन गया. आमतौर पर यह दक्षिणी अमेरिकी देशों, भारत समेत कुछ एशियाई देशों में होता है. भारत में हिमाचल और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से में होता है. पहली बार इसकी पौध कोटा की दो नर्सरियों में भी तैयार की गई हैं. लाडपुरा नर्सरी में एक हजार और देवली-अरब स्थित नर्सरी में सिंदूर के 3 हजार पौधे तैयार हैं.
कोटा की नर्सरियों में तैयार हो रहे हजारों पौधे
वन मंडल की लाडपुरा रेंजर इंद्रेशसिंह यादव ने बताया कि हमारी नर्सरी में एक हजार पौधे तैयार किए गए हैं, जिनका वितरण शुरू कर दिया है. 2 फीट तक ऊंचा पौधा छह रुपए, चार फीट तक का 10 और 4 फीट से अधिक ऊंचा पौधा 16 रुपए में दे रहे हैं. कोटा में विलुप्त प्रजातियों के संरक्षण की पहल कर रहे हैं. इनमें सिंदूर भी एक है. दो नर्सरियों में इसके चार हजार पौधे तैयार किए हैं. विभाग से तय दर पर इनका वितरण शुरू कर दिया है.
3 साल में बीज आने लगते हैं, इन्हें पीसकर बनता है सिंदूर
क्षेत्रीय वन अधिकारी इंद्रेश यादव बताते हैं कि कुमकुम पौधे का वर्णन वनौषधि विशेषांक में है. इसकी बड़ी पत्तियां और लाल फूल सुंदर होते हैं. तीन चार साल में इसके बीज आने लगते हैं. बीज के चूर्ण से सिंदूर तैयार करते हैं. यह हृदय को शिथिलता प्रदान करता है. इसके पेड़ के नीचे बैठने से ठंडक मिलती है. क्षेत्र में तापमान नियंत्रित रहता है. खून की कमी को दूर करने के साथ त्वचा संबंधी बीमारियों में लाभदायक है.
महिलाओं के ग्रुप ने भेंट किया ये पौधा
पीएम मोदी ने गुरुवार को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर अपने आवास पर सिंदूर का पौधा लगाया था. ये पौधा उन्हें 25-26 मई को गुजरात दौरे के दौरान कच्छ में 1971 के भारत-पाक युद्ध में बहादुरी दिखाने वाली महिलाओं के ग्रुप ने भेंट किया.
-चेतन गुर्जर