
क्या आपने कभी सोचा कि एक आम देश के रक्षा मंत्री की शान बन सकता है? जी हां, लखनऊ के मलीहाबाद में ‘मैंगो मैन’ के नाम से मशहूर पद्मश्री हाजी कलीमुल्लाह खान ने ऐसा कर दिखाया! उन्होंने अपनी जादुई ग्राफ्टिंग तकनीक से एक नई आम की किस्म तैयार की और इसका नाम रखा ‘राजनाथ आम’, जो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को समर्पित है! यह आम न सिर्फ स्वाद में लाजवाब है, बल्कि इसकी कहानी भी इतनी रोमांचक है कि आप इसे पढ़कर हैरान रह जाएंगे!
रक्षा मंत्री की शान, मलीहाबाद की जान!
मलीहाबाद के कलीमुल्लाह खान एक बार फिर चर्चा में हैं. उनकी नई आम की किस्म ‘राजनाथ आम’ न सिर्फ स्वादिष्ट है, बल्कि यह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की शांति और संयम की सोच को भी दर्शाती है. कलीमुल्लाह ने PTI को बताया, “मैं उन लोगों के नाम पर आम की किस्में रखता हूं, जिन्होंने देश की सेवा की. राजनाथ सिंह एक संतुलित और विचारशील नेता हैं. अगर यह आम लोगों को उनके काम की याद दिलाए, तो मेरी मेहनत सार्थक है.”
यह पहली बार नहीं है जब कलीमुल्लाह ने किसी बड़े नाम को अपने आम से जोड़ा. सचिन तेंदुलकर, ऐश्वर्या राय, नरेंद्र मोदी, अमित शाह, सोनिया गांधी, और अखिलेश यादव जैसे दिग्गजों के नाम पर भी उन्होंने आम की किस्में बनाई हैं. लेकिन ‘राजनाथ आम’ की खासियत है इसका वजन- हर फल आधा किलो से ज्यादा का, लंबा और भारी-भरकम, ठीक राजनाथ सिंह की तरह
स्कूल छोड़ा, आम का कॉलेज बनाया!
80 साल के कलीमुल्लाह खान की कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं. 7वीं कक्षा में फेल होने के बाद उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और अपने दादाजी के बाग में लग गए. वे कहते हैं, “मेरा मन किताबों में नहीं, बागों में लगता था.” आज उनका बाग दुनिया का सबसे बड़ा आम का कॉलेज है, जहां वे 300 से ज्यादा आम की किस्में उगा चुके हैं. उनकी सबसे खास रचना? ‘अश्ल-उल-मुकर्रर’ आम, जिसे उन्होंने 1987 में शुरू किया.
कलीमुल्लाह की ग्राफ्टिंग तकनीक जादू से कम नहीं. वे एक पेड़ पर सैकड़ों किस्मों के आम उगा लेते हैं! 1957 में उन्होंने पहली बार एक पेड़ पर 7 किस्मों के आम उगाए, लेकिन बाढ़ ने उसे बर्बाद कर दिया. फिर भी, हार न मानते हुए उन्होंने 1987 में एक 100 साल पुराने पेड़ पर 350 किस्में उगाकर दुनिया को हैरान कर दिया.
विश्व बैंक से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक
कलीमुल्लाह की प्रतिभा का लोहा सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया ने माना. एक बार विश्व बैंक के अध्यक्ष उनके बाग में आए. कलीमुल्लाह ने उन्हें एक ऐसे आम के पेड़ की खुशबू दिखाई, जो दिमाग के लिए टॉनिक जैसी थी. वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने 5 एकड़ जमीन देने का वादा किया, लेकिन अफसोस, वह वादा पूरा नहीं हुआ.
हाल ही के पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने कलीमुल्ल को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने यह आम राजनाथ सिंह के नाम कर दिया. वे कहते हैं, “पाकिस्तान ने आग शुरू की, लेकिन राजनाथ जी शांति चाहते हैं. युद्ध नहीं, संवाद समाधान है.”
मलीहाबाद, जिसे आमों की राजधानी कहा जाता है, 1919 में 1,300 आम किस्मों का गढ़ था. लेकिन आज इनमें से कई लुप्त हो चुकी हैं. कलीमुल्लाह ने इन्हें बचाने का बीड़ा उठाया और 350 से ज्यादा किस्में विकसित कीं. वे कहते हैं, “आम सिर्फ फल नहीं, सेहत का खजाना है. इसके औषधीय गुणों को मैंने दस्तावेजों में दर्ज किया है.”
‘राजनाथ आम’ की कीमत अभी बाजार में तय नहीं हुई है, लेकिन मलीहाबाद के आमों की मांग को देखते हुए यह सस्ता नहीं होगा. कलीमुल्लाह के बाग से निकला हर आम 5 रुपये से लेकर 500 रुपये तक में बिकता है. ‘राजनाथ आम’ अपने वजन, स्वाद, और कहानी के दम पर बाजार में तहलका मचा रहा है.