
इंग्लैंड की राजधानी लंदन में महात्मा गांधी की एक दुर्लभ ऑयल पेंटिंग नीलाम होने जा रही है. इस पेंटिंग को महात्मा गांधी ने खुद बैठकर बनवाया था. जुलाई में यह नीलामी लंदन की फेमस नीलामी संस्था बोनहम्स में होगी. इसकी अनुमानित कीमत 58 लाख से 81 लाख रुपए बताई जा रही है. यह पेंटिंग साल 1989 तक ब्रिटिश कलाकार क्लेयर लीटन के पास रही. उनकी मृत्यु के बाद ये उनकी फैमिली के पास है.
साल 1931 की है बापू की ये पेंटिंग-
महात्मा गांधी की ये दुर्लभ पेंटिंग साल 1931 में बनी थी. उस समय गांधी दूसरे गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए लंदन गए थे. इस पेंटिंग को ब्रिटेन की मशहूर कलाकार क्लेयर लीटन ने बनाया था. लीटन लकड़ी पर नक्काशी के लिए मशहूर थीं. महात्मा गांधी से लीटन की मुलाकात एक पत्रकार के जरिए हुई थी. पत्रकार हेनरी नोएल ब्रेल्सफोर्ड महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थे. पत्रकार हेनरी भारत की आजादी के समर्थक थे. हेनरी साल 1930 में भारत आए थे. उन्होंने रिबेल इंडिया नाम की किताब भी लिखी थी.
लीटन कुछ कलाकारों में से एक थीं, जिनको महात्मा गांधी के ऑफिस में एंट्री मिली थी. साल 1931 में उन्होंने उनके साथ बैठकर उनकी पेंटिंग बनाई थी.
बापू के सचिव ने लिखी थी चिट्ठी-
उस समय गांधी के सचिव महादेव देसाई ने भी लीटन को एक चिट्ठी लिखा था. उसमें उन्होंने लिखा था कि गांधीजी का चित्र बनाते हुए आपको कई सुबहों तक यहां देखना बहुत सुखद अनुभव था. यह चिट्ठी आज भी पेंटिंग के पीछे लगे बोर्ड पर मौजूद है.
1974 में लगी थी पेंटिंग की प्रदर्शनी-
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 1974 में महात्मा गांधी की इस पेंटिंग को प्रदर्शन के लिए रखा गया था. लेकिन कथित तौर पर एक हिंदू कट्टरपंथी ने उसपर चाकू से हमला किया था. हालांकि इसकी पुष्टि के लिए कोई दस्तावेज नहीं है. लेकिन पेंटिंग पर कई जगहों पर मरम्मत के निशान हैं और बोर्ड पर लगा एक लेबल इस बात की पुष्टि करता है कि 1974 में इसे बहाल किया गया था.
बापू की ऐसी कोई दूसरी पेंटिंग मौजूद नहीं-
Bonhams की हेड ऑफ सेल्स रयानन डेमरी के मुताबिक महात्मा गांधी के जीवनकाल में बनी ऐसी कोई दूसरी पेंटिंग मौजूद नहीं है. जिसे उन्होंने खुद बैठकर बनवाया हो. यह पेंटिंग कई बार गांधीजी की उपस्थिति में बनाई गई थी. नीलामी 7 जुलाई से 15 जुलाई तक आयोजित की जाएगी.
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