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बकरीद का अनोखा नजारा! वाराणसी में 5 लाख का ‘कल्लू’ बकरा! जन्म से अल्लाह-मोहम्मद लिखा, लोग बोले- ये है ऊपर वाले की नेमत!

बकरीद (ईद-उल-अज़हा) इस्लाम में बलिदान का प्रतीक है, और कुर्बानी के लिए बकरे खरीदना इस त्योहार का अहम हिस्सा है. वाराणसी की बकरामंडी में हर साल 5,000 से 10 लाख रुपये तक के बकरे बिकते हैं. लेकिन ‘अल्लाह’ या ‘मोहम्मद’ लिखे बकरे खास मांग रखते हैं.

अल्लाह लिखा बकरा अल्लाह लिखा बकरा

क्या आपने कभी सुना कि एक बकरा सेलिब्रिटी बन सकता है? वाराणसी की बेनियाबाग बकरामंडी में ऐसा ही कुछ हो रहा है, जहां ‘कल्लू’ नाम का बकरा लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. 5 लाख रुपये की कीमत वाला यह बकरा कोई आम जानवर नहीं- इसके शरीर पर जन्म से ही ‘अल्लाह’ और ‘मोहम्मद’ शब्द लिखे हैं, जिसे लोग ऊपर वाले की नेमत मान रहे हैं.

बकरीद से पहले सजी इस मंडी में लोग न सिर्फ खरीदारी के लिए, बल्कि कल्लू के साथ सेल्फी लेने और उसकी तस्दीक करने के लिए उमड़ रहे हैं. आखिर क्या है इस बकरे की कहानी? क्यों इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं? और क्या वाकई कोई इसे 5 लाख में खरीदेगा? 

कल्लू की चमक
वाराणसी के बेनियाबाग में हर साल बकरीद से पहले बकरामंडी सजती है, जहां कुर्बानी के लिए बकरे खरीदने की होड़ लगती है. लेकिन इस बार मंडी का सितारा है कल्लू, डेढ़ साल का एक सेहतमंद और खूबसूरत बकरा. इसकी खासियत? इसके शरीर पर ‘अल्लाह’ शब्द साफ दिखता है, जबकि ‘मोहम्मद’ थोड़ा गौर करने पर नजर आता है. मौलवी और मौलाना इसकी पुष्टि कर रहे हैं, जिससे यह बकरा आस्था और उत्साह का प्रतीक बन गया है.

लोग न सिर्फ इसे खरीदने के लिए मोलभाव कर रहे हैं, बल्कि इसके साथ फोटो और सेल्फी लेने की होड़ में भी हैं. मंडी में भीड़ इतनी है कि कल्लू को देखना किसी सेलिब्रिटी से मिलने जैसा लगता है.

खरीदार शमशीर आलम ने बताया, “यह बकरा हमें बहुत पसंद आया, लेकिन 5 लाख की कीमत हमारी पहुंच से बाहर है. हम 50,000-1 लाख तक का बकरा ले सकते हैं. यह स्पेशल है, जो इसे लेगा, वो रुतबे के लिए लेगा.” वहीं, मोहम्मद शोएब का बजट सिर्फ 12,000-15,000 रुपये है, लेकिन वे भी कल्लू को देखने मंडी पहुंचे. उन्होंने कहा, “ऐसा बकरा देखना भी सौभाग्य है.”

रामशंकर का प्यार और मजबूरी
कल्लू को मंडी में लाने वाले फतेहपुर के किसान रामशंकर ने बताया कि यह बकरा उनके लिए सिर्फ जानवर नहीं, बल्कि परिवार का हिस्सा है. रामशंकर ने इसे भाई की तरह पाला, साथ खाना खिलाया, और रात को सुलाया. जब कल्लू छोटा था, तब एक मौलवी ने इसके शरीर पर ‘अल्लाह’ लिखा हुआ देखा और इसकी खासियत बताई. तब से रामशंकर इसे खास मानते हैं. 

रामशंकर के मुताबिक, कल्लू की देखभाल में कोई कमी नहीं की गई. रोजाना 200 रुपये का खर्च, जिसमें घी, दाल, रोटी, हरी सब्जियां, और ड्राई फ्रूट्स शामिल हैं. कल्लू को पैकेज्ड जूस भी पसंद है. रामशंकर ने कहा, “कल्लू के आने से हमारे जीवन में तरक्की आई. लेकिन पैसे की तंगी और मजबूरी के चलते इसे बेचना पड़ रहा है. मुझे पूरी उम्मीद है कि 5 लाख की कीमत मिलेगी.”

बकरीद और अल्लाह लिखे बकरे
बकरीद (ईद-उल-अज़हा) इस्लाम में बलिदान का प्रतीक है, और कुर्बानी के लिए बकरे खरीदना इस त्योहार का अहम हिस्सा है. वाराणसी की बकरामंडी में हर साल 5,000 से 10 लाख रुपये तक के बकरे बिकते हैं. लेकिन ‘अल्लाह’ या ‘मोहम्मद’ लिखे बकरे खास मांग रखते हैं. 2014 में भी वाराणसी में एक बकरे के गले पर ‘अल्लाह’ लिखा होने की खबर सुर्खियों में थी, जिसकी कीमत 5 लाख थी. 2024 में एक बकरे की कीमत 1.5 लाख थी, जिस पर ‘अल्लाह-मोहम्मद’ लिखा था.

कल्लू की कीमत भले ही 5 लाख हो, लेकिन खरीदारों का कहना है कि यह आस्था और रुतबे का सवाल है. मंडी में बरबरी, मेवाती, और सिरोही नस्ल के बकरे भी 20,000 से 1 लाख तक बिक रहे हैं, लेकिन कल्लू की बात ही अलग है.