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थानेदार की अनोखी विदाई! माफिया के खिलाफ एक्शन लेने वाले SHO को दूल्हे की तरह सजाई गई बग्घी में किया गया विदा 

अक्सर पुलिस अधिकारियों के तबादले के बाद साधारण तरीके से कार्यभार सौंपा जाता है, लेकिन SHO उपेंद्र सिंह को मिली यह ‘दूल्हे वाली विदाई’ यह साबित करती है कि ईमानदारी, सख्ती और जनता के प्रति संवेदनशीलता, लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ती है.

Prayagraj SHO farewell Upendra Singh Prayagraj SHO farewell Upendra Singh

प्रयागराज में एक अनोखा नजारा देखने को मिला, जब SHO उपेंद्र सिंह को उनके गैर-जनपद तबादले के बाद दूल्हे की तरह शाही अंदाज़ में विदाई दी गई. आमतौर पर विदाई समारोह में औपचारिकता और साधारण विदाई होती है, लेकिन यहां का दृश्य किसी बारात से कम नहीं था. बग्घी को फूलों से सजाया गया, SHO को बैठाकर जुलूस निकाला गया और रास्ते भर उन पर पुष्पवर्षा की गई. भीड़ में मौजूद लोग “उपेंद्र सिंह जिंदाबाद” के नारे लगा रहे थे.

माफियाओं के खिलाफ कड़ा रुख
उपेंद्र सिंह की गिनती प्रयागराज के तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों में होती है. उन्होंने माफिया अतीक अहमद और उसके गुर्गों के खिलाफ कई बड़ी कार्रवाइयों में अहम भूमिका निभाई थी. अतीक अहमद और अशरफ हत्याकांड के बाद, बतौर पुरामुफ्ती थाना प्रभारी, उन्होंने अतीक गैंग के खिलाफ कई छापेमारी और कानूनी कार्रवाइयां कीं. योगी सरकार के “ऑपरेशन माफिया” में भी उनका योगदान सराहनीय रहा.

झूंसी थाने में भी कमाया नाम
करीब एक साल पहले उपेंद्र सिंह का तबादला झूंसी थाने में हुआ था. यहां भी उन्होंने अपराधियों पर लगाम कसने के लिए सक्रियता से काम किया. स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी कार्यशैली ने उन्हें आम जनता के बीच खास जगह दिलाई. चाहे अपराध नियंत्रण हो या जनता की समस्याओं का समाधान, SHO हमेशा तत्पर दिखे.

भावुक कर देने वाली विदाई
दो दिन पहले SHO उपेंद्र सिंह का गैर-जनपद तबादला होने के बाद पुलिसकर्मी और स्थानीय लोग उन्हें विदा करने के लिए एकजुट हुए. विदाई के दौरान सजाई गई बग्घी में SHO को बैठाया गया, उन पर फूलों की वर्षा हुई और पूरे रास्ते जयकारे गूंजते रहे. इस दौरान कई लोगों की आंखें नम थीं. पुलिसकर्मियों से लेकर स्थानीय नागरिकों तक, हर कोई इस पल को कैमरे में कैद कर रहा था.

क्यों है यह विदाई खास?
अक्सर पुलिस अधिकारियों के तबादले के बाद साधारण तरीके से कार्यभार सौंपा जाता है, लेकिन SHO उपेंद्र सिंह को मिली यह ‘दूल्हे वाली विदाई’ यह साबित करती है कि ईमानदारी, सख्ती और जनता के प्रति संवेदनशीलता, लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ती है.

(पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट)