
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में दीपावली के पावन पर्व के 2 दिन बाद अनोखी लड़ाई होती है. यह परंपरा पिछले 100 सालों से चली आ रही है. पाड़ों की लड़ाई के बारे में बुजुर्ग बताते हैं कि लगभग 100 साल पुरानी परंपरा में पाड़ों की लड़ाई होती है. इसमें लड़ाई से पहले गाय-भैंसों को सजाया जाता है. इसके बाद हीरामन बाबा के दरबार में पहुंचते हैं. जहां पूजा अर्चना के बाद प्रसाद वितरण के बाद पाड़ों को लड़ाया जाता है.
पाड़ों की लड़ाई का खेल-
रायसेन में आज दीपावली के 2 दिन बाद यादव समाज पाड़ों की लड़ाई कराता है. इस लड़ाई को देखने सैकड़ों की संख्या में आमजन पहुंचते हैं. रायसेन में पाड़ों की लड़ाई से पहले गाय-भैंसों को सजाया जाता है और उसके बाद ढोल ताशों के साथ यादव समाज के लोग पाड़ों को लेकर हीरामन बाबा के दरबार में पहुंचते हैं. पूजा-अर्चना करके हीरामन बाबा को दूध का भोग और भोग लगाने के बाद दूध के प्रसाद का वितरण किया जाता है. इसके बाद पाड़ों की लड़ाई का खेल शुरू होता है.
जीतने वाले पाड़े को दिया जाता है इनाम-
रायसेन में आज रामस्वरूप यादव के भोला किंग और चैन सिंह यादव के दोबारा पाड़ों की हुई लड़ाई लगभग आधे घंटे तक चली. इस लड़ाई में किसी पाड़े की हार-जीत नहीं हुई है. इस लड़ाई को देखने के लिए सैकड़ों लो जुटे. रामस्वरूप यादव ने बताया कि पाड़ों की लड़ाई की ये लगभग 100 साल पुरानी परंपरा है. जिसमें यादव समाज द्वारा पहले पूजा की जाती है और उसके बाद पाड़ों को लड़ाया जाता है. इसमें जीतने वाले पाड़े के मालिक को इनाम दिया जाता है. आज की लड़ाई में किसी भी पाड़े की हार-जीत नहीं हुई. इसलिए दोनों पाड़ों को बराबरी पर घोषित किया गया.
(राजेश कुमार रजक की रिपोर्ट)
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