scorecardresearch

राजगढ़ में पुलिस वाली माता रानी का अनोखा मंदिर, जहां पुलिस को थानेदारी शुरू करने से पहले माताजी को देनी पड़ती है आमद

मंदिर से जुड़ी कई चमत्कारी घटनाएं आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय हैं. पंडित दुबे बताते हैं कि 4 मार्च 1975 की रात जलता हुआ दीपक मंदिर में खुद-ब-खुद परिक्रमा करता दिखा. उस समय के थाना प्रभारी सरदार कर्मसिंह और सिपाही हीरालाल ने इसे अपनी आंखों से देखा और बाद में घटना को थाने की रोजनामचे में दर्ज भी किया गया.

Police Wali Mata Temple Police Wali Mata Temple

देशभर में देवी-देवताओं के मंदिरों की अलग-अलग मान्यताएं और परंपराएं देखने को मिलती हैं, लेकिन राजगढ़ जिले के सुठालिया कस्बे में स्थित ‘पुलिस वाली माता’ का मंदिर अपनी अनोखी परंपरा के लिए खासा लोकप्रिय है. यहां थाने में नई पोस्टिंग मिलने वाले हर पुलिसकर्मी को सबसे पहले माता रानी के दरबार में जाकर ‘आमद’ देना अनिवार्य होता है. इसके बाद ही वह अपनी थानेदारी संभाल सकता है.

दीवार से प्रकट हुई थीं माता
मंदिर के पुजारी पंडित राधेश्याम दुबे बताते हैं कि साल 1946 में, जब यह इलाका रियासत के अधीन था, मऊ ग्राम में नया पुलिस थाना बनाया जा रहा था. उसी दौरान अचानक पुलिस थाने की दीवार से चामुंडेश्वरी माता प्रकट हुईं और लोगों को दर्शन दिए. तभी से यहां माता रानी का चमत्कारी मंदिर स्थापित हो गया.

Police Wali Mata Temple

पंडित दुबे कहते हैं कि इसके बाद कई बार मंदिर की मान्यता को चुनौती देने वाले अधिकारी और कर्मचारी माता के कोप का शिकार बने. यहां तक कि जब बिना इच्छा के थाने को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया तो अचानक बिल्डिंग गिरने और अधिकारियों के बंगले पर पत्थरों की वर्षा जैसी घटनाएं हुईं. आखिरकार थाने को वापस यहीं शिफ्ट करना पड़ा. बाद में थाने का निर्माण सुठालिया में हुआ, लेकिन उसका नाम आज भी ‘मऊ सुठालिया थाना’ ही है.

Police Wali Mata Temple
Police Wali Mata Temple

चमत्कारों से जुड़ी कहानियां
मंदिर से जुड़ी कई चमत्कारी घटनाएं आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय हैं. पंडित दुबे बताते हैं कि 4 मार्च 1975 की रात जलता हुआ दीपक मंदिर में खुद-ब-खुद परिक्रमा करता दिखा. उस समय के थाना प्रभारी सरदार कर्मसिंह और सिपाही हीरालाल ने इसे अपनी आंखों से देखा और बाद में घटना को थाने की रोजनामचे में दर्ज भी किया गया. यह पन्ना आज भी फ्रेम करवाकर मंदिर में सुरक्षित रखा गया है.

Police Wali Mata Temple

इसी तरह, जब पुराने पुलिस थाने की जगह पर स्कूल शिफ्ट करने की बात आई, तो जिला कलेक्टर का पेन बार-बार हाथ से छूट जाता और आदेश पास नहीं हो पाता. स्थानीय लोग इसे भी माता का चमत्कार मानते हैं.

पुलिसकर्मियों की विशेष आस्था
सुठालिया थाना प्रभारी प्रवीण जाट बताते हैं कि यहां परंपरा है कि जब भी किसी पुलिस अधिकारी या आरक्षक की पहली पोस्टिंग होती है, तो वह माता के मंदिर में आकर पहले ‘आमद’ देता है. तभी वह रोजनामचे में अपनी ड्यूटी दर्ज कर सकता है. यही कारण है कि मंदिर की व्यवस्था और नवरात्र के आयोजन में पुलिस स्टाफ बढ़-चढ़कर भाग लेता है.

Police Wali Mata Temple

चैत्र और शारदीय नवरात्रों में यहां भव्य उत्सव और विशाल भंडारा आयोजित होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं. पुलिस अधीक्षक से लेकर अन्य अधिकारी भी इस आयोजन में शामिल होते हैं.

आजादी से पहले स्थापित इस मंदिर की मान्यता लगातार बढ़ती गई और आज यह न सिर्फ आस्था का केंद्र है बल्कि पुलिस विभाग की परंपराओं का भी हिस्सा बन चुका है. राजगढ़ का यह अनोखा मंदिर लोगों को यह विश्वास दिलाता है कि आस्था और कर्तव्य का संगम ही सच्चे धर्म की पहचान है.

-पंकज शर्मा की रिपोर्ट

-----------समाप्त----------