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क्लाइंट से मांगी ₹80,000 कोर्ट फीस… वकील दो साल के लिए सस्पेंड! क्या कोर्ट फीस के नाम पर कितना भी वसूला जा सकता है?

Bar Council of India के Rule 20 के अनुसार, contingency fees (नतीजे पर आधारित) वर्जित हैं. वकील अपनी फीस उसी स्टैंडिंग व क्षेत्र के वकीलों के अनुसार ले सकते हैं. दिल्ली हाई कोर्ट के अनुसार, सिविल केसों में वकील फीस मूल केस की लागत का कुछ प्रतिशत तक सीमित होती थी, लेकिन अब नियमित रूप से तय नहीं है.

कोर्ट फीस कोर्ट फीस

बार कौंसिल ऑफ़ महाराष्ट्र एंड गोवा (BCMG) ने हाल ही में एक चौंकाने वाला फैसला सुनाया है. एडवोकेट रंजीता वेंगुर्लेकर को ₹80,000 की नकली कोर्ट फीस वसूलने के आरोप में दो साल के लिए वकालत से निलंबित किया गया. इसके साथ ही उन्हें अपने शोषित ग्राहक को ₹25,000 हर्जाना भी भरना होगा. इस मामले ने कोर्ट फीस को लेकर एकबार फिर से चर्चा शुरू कर दी है.

क्या है पूरा मामला?
क्लाइंट अभिजीत जगन्नाथ जाडोकऱ ने आरोप लगाया कि उन्होंने वेंगुर्लेकर को वकालती फीस और कोर्ट फीस के नाम पर कुल ₹1.5 लाख दिए, लेकिन असली मात्र ₹80,000 का ही कहना था. इसके बदले उन्हें नकली स्टैम्प-रसीद दी गई.

जिसके बाद, BCMG की तीन सदस्यीय जांच समिति ने पाया कि ₹80,000 का स्टाम्प “bogus” नकली था. इसपर रंजीता ने सफाई दी कि ₹80,000 कोर्ट फीस है और ₹50,000 उनकी वकालती फीस. लेकिन कोर्ट में जवाब नहीं दिया, और सबुतों से इनकार नहीं किया. BCMG ने निर्देश दिया: “सनद (लाइसेंस) 2 साल की अवधि के लिए निलंबित किया जाता है और शिकायतकर्ता के पक्ष में ₹25,000/- का जुर्माना लगाया जाता है.”

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कोर्ट फीस क्या है, इसे कौन वसूल सकता है और कितना?

1. Court Fees Act, 1870 के तहत
कोर्ट फीस एक स्टैम्प शुल्क है जो अदालत में कोई दस्तावेज़ दायर करने या मुकदमा दाखिल करने पर चुकाना होता है. यह राज्य/केन्द्रीय अधिनियमों के तहत तय दरों पर आधारित, आद-वैलर्म (ad valorem) या फिक्स्ड हो सकती है.

2. कितना?

  • Civil suit (₹1 लाख): लगभग ₹200–₹400
  • Criminal petitions (जैसे जमानत): लगभग ₹10–₹25
  • Writ petitions: लगभग ₹50/₹100
  • Probate, Partition, Estate आदि में मुकदमे की कुल कीमत का प्रतिशत लिया जाता है.

3. कौन ले सकता है?

केवल अदालत या उसके अधिकारियों के जरिए ही यह स्टांप खरीदा/अटैच किया जा सकता है. वकील इसकी मांग नहीं कर सकते, वे केवल court fee stamp खरीदने/जमा करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन उसे पुष्टि करने की ज़िम्मेदारी लेते हैं कि सही शुल्क अदा हुआ है. नकली स्टांप के लिए वकील जवाबदेह होगा.

स्टैम्प को लेकर क्या कहा गया है?
स्टैम्प ₹25 से कम हो तो adhesive stamp, ₹25 या उससे ऊपर हो तो impressed stamp दिया जाता है. अगर जरूरी स्टैम्प उपलब्ध नहीं है, तो कम दर का स्टाम्प प्रयोग कर कमी पेटी में भर सकते हैं, इसके लिए वेंडर प्रमाण पत्र जरूरी. साथ ही, बिना कोर्ट फीस प्रिंटेड कोर्ट में दस्तावेज जमा करने पर रद्द भी हो सकता है

वकीलों की फीस
Bar Council of India के Rule 20 के अनुसार, contingency fees (नतीजे पर आधारित) वर्जित हैं. वकील अपनी फीस उसी स्टैंडिंग व क्षेत्र के वकीलों के अनुसार ले सकते हैं. दिल्ली हाई कोर्ट के अनुसार, सिविल केसों में वकील फीस मूल केस की लागत का कुछ प्रतिशत तक सीमित होती थी, लेकिन अब नियमित रूप से तय नहीं है.

उदाहरण: ₹1 लाख की राशि के केस में सरकारी जूमी के तहत वकील की फीस ₹6,500 और अधिकतम ₹14,500 ले सकते हैं. लेकिन सरकारी केस में (AG/SG): ₹5,000–₹16,000 प्रति केस या दिन के हिसाब से लिया जाता है.

बता दें, अगर कोई वकील नकली स्टैम्प/फीस ले- तब आप State Bar Council में शिकायत कर सकते हैं (BCMG या अन्य) और साथ में लीगल सर्विस अथॉरिटी में भी मदद ले सकते हैं. इसके साथ ही, गरीबी/लिंग/आर्थिक स्थिति के आधार पर निःशुल्क वकील सहायता मिल सकती है.