scorecardresearch

Delhi Tower Gardening: दिल्ली के इंजीनियर ने बनाया टावर गार्डनिंग का अनोखा मॉडल, पाइप में उगा रहे 25 से 30 सब्जियां 

मिथिलेश का टावर फार्मिंग मॉडल उन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जिनके पास जगह की कमी है. छोटे फ्लैट, अपार्टमेंट और शहरों में रह रहे लोग आसानी से इसका उपयोग कर सकते हैं.

Small Space Farming Small Space Farming

क्या आपने कभी सोचा है कि आपके फ्लैट की छोटी सी बालकनी या छत आपको सब्ज़ियों से आत्मनिर्भर बना सकती है? आमतौर पर लोग कहते हैं कि “हां, दो-चार पौधे तो उगा सकते हैं”. लेकिन अगर आपको कोई ये कहे कि आप अपनी ही बालकनी में 25 से 30 तरह की सब्ज़ियां उगा सकते हैं, तो शायद आप चौंक जाएंगे.

दिल्ली के रहने वाले मिथिलेश कुमार सिंह ने इसे हकीकत बना दिखाया है. वो न सिर्फ़ अपनी छत पर टावर फार्मिंग से ढेर सारी सब्जियां उगा रहे हैं, बल्कि अब यह आइडिया दिल्ली-एनसीआर के सैकड़ों घरों तक पहुंच चुका है.

पाइप में सब्जियां उगाने का अनोखा आइडिया
मिथिलेश ने ड्रेनेज पाइप को खेती का हथियार बना लिया है. तीन फीट ऊंचे एक पाइप टावर में कम से कम पांच तरह की सब्जियां आसानी से उगाई जा सकती हैं. जगह इतनी कम लगती है कि एक गमले से भी छोटा स्पेस घेरता है.

उनकी छत पर ऐसे कई टावर रखे हुए हैं और इन्हीं में भिंडी, लौकी, करेला, बैंगन, मिर्च, धनिया, तरोई, नीम, नींबू, सहजन, मौसमी और मौसमी साग तक सबकुछ मिल जाएगा. सर्दियों में पालक, बथुआ और सरसों जैसी हरी सब्ज़ियां भी यही तैयार होती हैं.

कंप्यूटर इंजीनियर से किसान तक का सफर
मिथिलेश पहले एक कंप्यूटर इंजीनियर थे. कोविड के दौरान जब वर्क-फ्रॉम-होम का सिलसिला चला, तब वो अक्सर अपनी छत पर टहलते रहते थे. वहीं से उन्हें टावर गार्डनिंग का आइडिया आया. उन्होंने छोटे-छोटे एक्सपेरिमेंट किए और धीरे-धीरे यह मॉडल तैयार हुआ.

करीब एक साल पहले उन्होंने और उनकी पत्नी, विद्यावासिनी सिंह ने मिलकर इसे स्टार्टअप का रूप दिया. आज उनकी मेहनत दिल्ली-एनसीआर के 150 से ज़्यादा घरों तक पहुँच चुकी है. न सिर्फ़ दिल्ली, बल्कि देशभर से लोग उनके टावर खरीद रहे हैं.

बिजनेस से पहले मिशन
मिथिलेश कहते हैं, “पैसा अपनी जगह है, लेकिन हमारा मकसद है कि लोग शुद्ध खाएँ. अगर कोई खुद अपने घर में ऐसे टावर बनाकर सब्ज़ियां उगाना चाहता है, तो हम बिना किसी झिझक के उसकी मदद करते हैं. हम अपना आइडिया किसी से छुपाते नहीं हैं.”

उनका मानना है कि यह मॉडल इतना आसान और सस्ता है कि कोई भी इसे अपना सकता है.

आलू-प्याज छोड़ सबकुछ घर से
मिथिलेश और उनकी पत्नी का कहना है कि अब उन्हें मार्केट से सिर्फ़ आलू और प्याज़ खरीदने की ज़रूरत पड़ती है. बाकी सब्ज़ियां उनके इसी टावर गार्डन में उग जाती हैं.

मिथिलेश का टावर फार्मिंग मॉडल उन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जिनके पास जगह की कमी है. छोटे फ्लैट, अपार्टमेंट और शहरों में रह रहे लोग आसानी से इसका उपयोग कर सकते हैं.

यह मॉडल आने वाले समय में “अर्बन फार्मिंग” का नया चेहरा बन सकता है. अगर हर घर में ऐसी गार्डनिंग शुरू हो जाए तो लोग न सिर्फ मिलावटी सब्जियों से बचेंगे बल्कि सेहतमंद और आत्मनिर्भर भी बनेंगे.