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तलाक की अर्जी लेकर आए दंपति को Supreme Court की सलाह... बोले-कॉफी पर बन सकती है बात, दी पत्नी के साथ डिनर करने की सलाह

सुप्रीम कोर्ट ने इस जोड़े को भविष्य के बारे में सोचने और पुरानी कड़वाहट को भूलने की सलाह दी है. कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस अभय ओका को मध्यस्थ के तौर पर सुझाया, जो इस तलाक और कस्टडी विवाद को सुलझाने में मदद कर सकते हैं. कोर्ट ने सुनवाई को मंगलवार तक के लिए टाल दिया है, लेकिन उससे पहले इस जोड़े को "कुछ क्वालिटी टाइम" साथ बिताने को कहा गया है. 

Supreme court advice (Representative Image/Unsplash) Supreme court advice (Representative Image/Unsplash)

दिल्ली की एक मशहूर फैशन उद्यमी और मुंबई के एक बड़े पैकेज्ड फूड कारोबारी के बीच चल रही तलाक की जंग ने अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर दस्तक दी है. इस हाई-प्रोफाइल जोड़े की 3 साल की मासूम बच्ची की कस्टडी को लेकर तनातनी इतनी बढ़ गई है कि मामला अब देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंच गया है.

पत्नी अपनी बेटी को लेकर यूरोप घूमने जाना चाहती है, लेकिन पति ने पासपोर्ट पर दस्तखत करने से साफ मना कर दिया. उनका डर? कि पत्नी बच्ची को लेकर विदेश में "गायब" हो जाएगी! सुप्रीम कोर्ट ने इस जोड़े को कॉफी या डिनर पर साथ बैठकर बातचीत करने की सलाह दी है.

सुप्रीम कोर्ट की अनोखी सलाह
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस जोड़े को एक अनोखा सुझाव दिया- "आज एक कप कॉफी साथ में पीजिए, बिना किसी वकील या परिवार के सदस्य के." कोर्ट का कहना था कि दोनों को अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए शांतिपूर्ण बातचीत करनी चाहिए. कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब तलाक अभी हुआ नहीं है, तो दोनों एक हफ्ते के लिए बच्ची के साथ मिलकर यूरोप की सैर क्यों नहीं कर सकते? लेकिन पति ने साफ कहा कि वह बच्ची के पासपोर्ट की कस्टडी चाहते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो कि बच्ची भारत वापस आएगी. दूसरी ओर, पत्नी ने साफ कर दिया कि वह पति के साथ यूरोप नहीं जाना चाहतीं.

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पत्नी की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि उनकी मुवक्किल मध्यस्थता के लिए तैयार हैं, लेकिन पति को जून-जुलाई में बच्ची की छुट्टियों में बाधा नहीं डालनी चाहिए. पत्नी का कहना है कि यह एकमात्र समय है जब वह अपनी बेटी के साथ लंबी छुट्टियां मना सकती हैं.

लेकिन सनसनीखेज मोड़ तब आया जब पत्नी ने पति पर "अत्याचार" का आरोप लगाया और कहा कि इस "हिंसक रिश्ते" में सुलह संभव नहीं है. पति ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वह बच्ची के हित में काम कर रहे हैं.

बच्ची की कस्टडी
यह जोड़ा 2023 से अलग रह रहा है. पत्नी दिल्ली में अपनी बेटी के साथ रहती हैं, जबकि पति मुंबई में रहते हैं, जहां उनका परिवार एक बड़े पैकेज्ड फूड साम्राज्य का मालिक है. मुंबई हाई कोर्ट ने हाल ही में बच्ची की कस्टडी पत्नी को दी थी, जिसके बाद पति ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. पति का कहना है कि उन्हें बच्ची से मिलने का मौका सिर्फ पत्नी के पारिवारिक घर में मिलता है, जहां बातचीत का माहौल "उपयुक्त" नहीं होता.

पति चाहते हैं कि बच्ची उनके साथ मुंबई में उनके माता-पिता, यानी बच्ची के दादा-दादी के पास रहे, ताकि पत्नी अपने परिवार के साथ यूरोप की यात्रा कर सके.

लेकिन पत्नी का कहना है कि वह अपनी बेटी को कहीं नहीं छोड़ना चाहतीं. उनके वकील ने कोर्ट में कहा, "पति का मकसद सिर्फ मेरी मुवक्किल की यात्रा को रोकना है." 

सुप्रीम कोर्ट ने इस जोड़े को भविष्य के बारे में सोचने और पुरानी कड़वाहट को भूलने की सलाह दी है. कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस अभय ओका को मध्यस्थ के तौर पर सुझाया, जो इस तलाक और कस्टडी विवाद को सुलझाने में मदद कर सकते हैं. कोर्ट ने सुनवाई को मंगलवार तक के लिए टाल दिया है, लेकिन उससे पहले इस जोड़े को "कुछ क्वालिटी टाइम" साथ बिताने को कहा गया है.