
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपकी गाड़ी सड़कों पर दौड़ ही नहीं रही है, तब भी आपको रोड टैक्स क्यों देना चाहिए? यही सवाल अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और देश की सबसे बड़ी अदालत ने ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसने लाखों वाहन मालिकों को राहत की सांस दी है.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच- जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुयान ने साफ कह दिया कि रोड टैक्स केवल उन्हीं वाहनों पर लगेगा, जो "पब्लिक प्लेस" यानी सार्वजनिक सड़कों पर उपयोग किए जा रहे हों या उपयोग के लिए खड़े हों.
इसका सीधा मतलब है, अगर आपकी गाड़ी घर के गैराज में, फैक्ट्री के अंदर या किसी प्राइवेट परिसर में खड़ी है और पब्लिक रोड पर इस्तेमाल ही नहीं हो रही, तो उस पर सरकार रोड टैक्स नहीं वसूल सकती.
इसका मकसद क्या है ?
रोड टैक्स का मकसद है- सरकारी सड़कों, हाइवे और इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करने पर शुल्क लेना. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अगर कोई वाहन सार्वजनिक जगह पर नहीं चल रहा या चलाने के लिए रखा ही नहीं गया, तो टैक्स वसूलने का सवाल ही नहीं उठता.”
यानी अब टैक्स तभी लगेगा, जब आपकी गाड़ी सच में पब्लिक रोड पर इस्तेमाल हो रही हो.
किस मामले से जुड़ा है यह फैसला?
यह केस आंध्र प्रदेश से जुड़ा था. विशाखापत्तनम स्टील प्लांट (RINL) के अंदर लॉजिस्टिक सपोर्ट देने वाली एक कंपनी ने अपनी 36 गाड़ियां सिर्फ प्लांट परिसर में चलाईं. ये गाड़ियां पब्लिक रोड पर नहीं जाती थीं- केवल फैक्ट्री यार्ड के भीतर ही उपयोग होती थीं, जो CISF सुरक्षा के तहत एक बंद क्षेत्र है.
कंपनी ने राज्य सरकार से रोड टैक्स छूट मांगी, लेकिन विवाद बढ़ते-बढ़ते सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया.
अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि चूंकि यह जगह ‘पब्लिक प्लेस’ नहीं है, इसलिए गाड़ियों पर रोड टैक्स नहीं लगाया जा सकता.
कितना बड़ा असर होगा?
हर साल लाखों गाड़ियां महीनों तक गैराज में खड़ी रहती हैं- जैसे टैक्सी, बस, ट्रक या यहां तक कि पर्सनल कार. अभी तक मालिकों को हर हाल में रोड टैक्स देना पड़ता था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अगर गाड़ियां नॉन-ऑपरेशनल रखी जाती हैं, तो मालिक टैक्स से छूट ले सकते हैं.
यानी अगर आपने अपनी कार 6 महीने तक नहीं चलाई, तो अब आपको उन 6 महीनों का टैक्स नहीं देना होगा!
क्या सभी लोग तुरंत फायदा उठा पाएंगे?
अभी यह फैसला आंध्र प्रदेश मोटर व्हीकल टैक्सेशन एक्ट (1963) पर हुआ है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर देशभर के समान प्रावधानों पर पड़ सकता है.
यानी अब अन्य राज्यों के वाहन मालिक भी इसी आधार पर टैक्स छूट की मांग कर सकते हैं. सरकारों को अपने कानून और नोटिफिकेशन में संशोधन करने पड़ सकते हैं.
आम लोगों के लिए इसका मतलब क्या है?
राज्य सरकारें रोड टैक्स से मोटी कमाई करती हैं. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सरकारों पर दबाव बनाएगा कि वे केवल उन्हीं गाड़ियों पर टैक्स वसूलें जो वास्तव में सड़क पर चल रही हों.