
प्रयागराज अब स्वच्छता और पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र में पूरे उत्तर प्रदेश के लिए मिसाल बनने जा रहा है. नैनी के अरैल क्षेत्र में 153 करोड़ रुपये की लागत से बना प्रदेश का पहला बायो-CNG प्लांट अब पूरी तरह से तैयार है और बुधवार को विधिवत पूजन-हवन के साथ इसकी शुरुआत हो चुकी है. नगर निगम द्वारा पहले ही दिन करीब 20 टन गीला कचरा प्लांट में प्रोसेसिंग के लिए भेजा गया, जिससे इस अत्याधुनिक सुविधा का औपचारिक संचालन शुरू हुआ.
क्यों खास है प्रयागराज का बायो-CNG प्लांट?
उत्तर प्रदेश का पहला बायो-CNG प्लांट, जो हर दिन 343 टन कचरा प्रोसेस करने की क्षमता रखता है.
इसमें प्रतिदिन 21.5 टन बायो-CNG, 109 टन ठोस खाद और 100 टन तरल खाद का उत्पादन होता है.
हर साल 53 लाख की आय नगर निगम को सिर्फ कचरे से
56700 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी
कब और क्यों बनाया गया ये प्लांट?
इस प्लांट का निर्माण पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर हुआ है. प्रयागराज नगर निगम ने नैनी के जहांगीराबाद में 12.49 एकड़ भूमि इस परियोजना के लिए दी. इसका संचालन एवर एनवायरो रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड करेगी. निगम और कंपनी के बीच 25 साल का करार हुआ है.
कैसे काम करता है बायो-CNG प्लांट?
घर-घर से गीला कचरा एकत्रित कर प्लांट में लाया जाता है.
ट्रामिल मशीन में कचरे की छंटाई कर लुगदी बनायी जाती है.
हैमर मिल से लुगदी तैयार कर फीड टैंक में भेजी जाती है.
डाइजेस्टर में गोबर मिलाकर एक्टिव बैक्टीरिया उत्पन्न किए जाते हैं.
बैक्टीरिया कचरे को तोड़ते हैं और बायोगैस बनती है.
VPSA सिस्टम से बायोगैस को शुद्ध किया जाता है.
शुद्ध गैस से बायो-CNG और CO₂ अलग किए जाते हैं.
तैयार बायो-CNG को IOAGL (इंडियन ऑयल अडानी गैस लिमिटेड) को बेचा जाएगा.
बची हुई ठोस और तरल खाद कृषि क्षेत्र में उपयोग की जाएगी.
परियोजना प्रमुख हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, प्लांट के आसपास 2100 पौधे लगाए जा रहे हैं, जिससे वातावरण शुद्ध रहेगा. वहीं शुरुआत में 30 टन गोबर से बैक्टीरिया उत्पन्न किए जा रहे हैं, जो जल्द खुद-ब-खुद बनने लगेंगे. इस प्लांट से करीब 200 लोगों को रोजगार मिलेगा, जिसमें 40 लोग सीधे प्लांट में और 150 से अधिक लोग अप्रत्यक्ष रूप से काम करेंगे. इससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी.
नगर आयुक्त श्री साईं तेजा ने शहरवासियों से अपील की है कि वे गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करें और डोर-टू-डोर कलेक्शन एजेंसियों को सही तरीके से सौंपें. यह आदत न सिर्फ पर्यावरण के लिए बल्कि शहर की अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद होगी.
कचरे से कमाई और हरियाली प्रयागराज बना रोल मॉडल
इस बायो-CNG प्लांट के जरिए प्रयागराज अब सिर्फ कचरे के निस्तारण में ही नहीं, बल्कि ऊर्जा उत्पादन, खाद निर्माण, कार्बन उत्सर्जन में कमी और रोजगार सृजन जैसे क्षेत्रों में भी अग्रणी बन गया है. यह परियोजना आने वाले समय में दूसरे शहरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है. अब कचरा बनेगा कमाई का ज़रिया, और प्रयागराज एक हरित और स्वच्छ शहर की पहचान.
-आनंद राज की रिपोर्ट