
मरने के बाद क्या होता है ये आज भी एक रहस्य ही है. सदियों से लोग इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं. लेकिन हाल ही में, खुद को अल्बर्ट आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग से भी अधिक बुद्धिमान कहने वाले क्रिस लैगन का दावा है कि उन्होंने इस सवाल का जवाब ढूंढ लिया है.
क्रिस लैगन, को दुनिया के सबसे बुद्धिमान व्यक्तियों में गिना जाता है. कहा जाता है कि उनका आईक्यू 190 से ज्यादा है, यही कारण है कि उन्हें दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति कहते हैं. क्रिस का पूरा नाम क्रिस्टोफर माइकल लैगन है और इनका जन्म 25 मार्च 1952 को अमेरिका में हुआ था. वहीं बता दें कि क्रिस एक अमेरिकी पशुपालक हैं जिन्होंने अपने संज्ञानात्मक-सैद्धांतिक मॉडल ऑफ द यूनिवर्स (CTMU) सोच के जरिए लोगों के बीच अपनी पहचान बनाई है.
क्या कहना है क्रिस का मृत्यु को लेकर?
मरने के बाद क्या होता है को लेकर कर्ट मंगल के साथ ऑन द थ्योरीज ऑफ एवरीथिंग पॉडकास्ट पर क्रिस ने बताया कि मरने के बाद क्या होता है, उससे डरना नहीं चाहिए क्योंकि मरना अंत नहीं है. उन्होंने CTMU के बारे में बताया कि गणित का उपयोग करके हम ईश्वर, आत्मा और दूसरी दुनिया के बारे में पता लगा सकते हैं. हमें इससे डरना नहीं चाहिए.
क्या होता है मरने के बाद?
लैगन का मानना है कि, हमारी चेतना (consciousness) सिर्फ शरीर तक ही सीमित नहीं है. उनका सोचना है कि, जब इंसान मरता है, तो वो किसी और रूप में ब्रह्मांड में रहता है. वो मानते हैं कि हमारी चेतना ब्रह्मांड का हिस्सा है, जो कभी खत्म नहीं होती. यह किसी और रूप में रहती है. मृत्यु का मतलब है कि आत्मा का शरीर से अलग होना. मरने पर आपके शरीर से आपका रिश्ता टूटता है न कि आपकी आत्मा से. हमें मौत से डरने के बजाय इसे जीवन के एक हिस्से के रूप में देखना चाहिए. यह सोच हमें जिन्दा रहते हुए अपनी जिंदगी को और बेहतर बनाने की प्रेरणा देती है.
नहीं रह जाता कुछ भी याद
लैगन का कहना है कि जब आपकी आत्मा का शरीर से रिश्ता टूटता है तो सबकुछ भूल जाते हैं. आपको शायद ये भी याद न रहे कि आप पहले कौन थे. इसलिए आगे बढ़ते रहने में ही भलाई है. लैगन के अनुसार, मृत्यु के बाद व्यक्ति का अस्तित्व गायब नहीं होता बल्कि दूसरा जन्म लेता है.
लैगन के अनुसार, मृत्यु का मतलब शरीर को छोड़ देना होता है, न कि अस्तित्व समाप्त हो जाना. ये आपके उस शरीर के साथ आपके रिश्ते का अंत है जो इस समय आपके पास है. उन्होंने कहा, जब आप इस असलियत से पीछे हट जाते हैं, तो आप अपनी वास्तविकता की ओर वापस चले जाते हैं. शरीर दूसरी तरह का टर्मिनल दे देता है जो आपको अस्तित्व में बने रहने देता है. वहीं आखिर इंसान अपनी पुरानी यादों को कैसे भूल जाता है. इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि व्यक्ति नए जीवन में हम ध्यान की अवस्था में होता है.