
मध्य प्रदेश का पन्ना जिला हीरे उगलने के लिए इतना मशहूर है कि 1973 की फिल्म 'हीरा-पन्ना' में हीरे चुराने वाली नायिका का नाम पन्ना रख दिया गया था. यह जिला आज भी भारत का एकमात्र ऐसा शहर है जहां हीरे मिलते हैं. शायद यही वजह है कि पन्ना जिले की एक महिला अपनी किस्मत चमकाने के लिए दो साल पहले ज़मीन खोदने में लग गई थी.
अब दो साल के बाद चोपड़ा स्थित एक निजी खदान में दो साल की अथक मेहनत के बाद उस महिला की किस्मत चमक उठी है. सावित्री सिसोदिया नामक इस महिला को अपनी खदान से 2 कैरेट 69 सेंट का एक चमचमाता हीरा मिला है. इस हीरे की अनुमानित कीमत लाखों रुपये बताई जा रही है, जिससे महिला और उनके परिवार की जिंदगी बदल सकती है. महिला ने इसे हीरा कार्यालय में जमा कर दिया है.
निजी खदान में तलाशा हीरा
महिला ने बताया कि पिछले दो सालों से चोपड़ा की एक निजी खदान में हीरे की तलाश कर रही थीं. कड़ी धूप, धूल और अथक परिश्रम के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. उनकी यह लगन और धैर्य आखिरकार रंग लाया और उन्हें यह बेशकीमती तोहफा प्रकृति से मिला है. हीरा पारखी ने हीरे का निरीक्षण कर उसे जमा कर लिया है जिसे आगामी नीलामी में रखा जाएगा.
नीलामी से मिलने वाली राशि शासकीय रॉयल्टी और टैक्स की कटौती के बाद महिला को सौंप दी जाएगी. यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि पन्ना की धरती किस तरह से अपने भीतर बेशकीमती रत्नों को समेटे हुए है और कैसे यह मेहनती लोगों की किस्मत बदलने का माद्दा रखती है.
महिला ने क्या कहा?
दो साल की मशक्कत के बाद हीरा हासिल करने वाली महिला का नाम सावित्री सिसोदिया है. उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्हें कड़ी धूप और धूल का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अथक परिश्रम किया. उनकी यह लगन और धैर्य आखिरकार रंग लाई और आज उन्हें यह बेशकीमती तोहफा प्रकृति से मिला है.
दूसरी ओर, पन्ना के हीरा कार्यालय के हीरा पारखी अनुपम सिंह ने कहा, "हीरे का निरीक्षण कर उसे जमा कर लिया गया है. इसे आगामी नीलामी में रखा जाएगा. नीलामी से मिलने वाली राशि, शासकीय रॉयल्टी और टैक्स की कटौती के बाद महिला को सौंप दी जाएगी."
(जीएनटी टीवी डॉट कॉम के लिए पन्ना से दिलीप शर्मा की रिपोर्ट)