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माता-पिता कंधे पर बैठाकर कांवड़ यात्रा कर रहे हैं 4 भाई, दादा-दादी को भी करा चुके हैं यात्रा

मेरठ के 4 भाई अपने माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर यात्रा कर रहे हैं. ये भाई 9 जुलाई को हरिद्वार से चले थे. ये श्रवण कांवड़ रोजाना 15 किलोमीटर का सफर तय करता है. इससे पहले ये चारों भाई अपने दादा-दादी को भी भोलेनाथ के दर्शन करा चुके हैं.

Kanwar Yatra Kanwar Yatra

कांवड़ यात्रा के दौरान रंग-बिरंगे रंग अद्भुत कांवड़ लगातार देखने को मिल रहे हैं. लेकिन मुजफ्फरनगर में एक ऐसा कांवड़ देखने को मिला, जो समाज को एक आईना दिखा रहा है. उत्तर प्रदेश के मेरठ के चार किसान भाइयों ने पहले अपने दादा-दादी को दो बार कांवड़ में बैठाकर कंधे पर उठाकर कांवड़ यात्रा कराई और अब तीन बार से अपने माता-पिता को अपनी श्रवण कांवड़ में बैठकर यात्रा करा रहे हैं.

4 बेटों ने उठाई श्रवण कांवड़-
मेरठ के प्रतापनगर के रहने वाले 4 किसान भाई सुनील, राहुल, सचिन और अनिल ने 9 जुलाई को हरिद्वार में हर की पौड़ी से गंगाजल लेकर चले थे. इस दौरान ये भाई कांवड़ में मां उषा और पिता राजपाल को बैठाकर यात्रा कर रहे हैं. चारों भाई बारी-बारी से अपने कंधे पर अपनी इस श्रवण कांवड़ को उठाकर प्रतिदिन 15 किलोमीटर चलते हैं और जहां थक जाते हैं, वहीं विश्राम कर लेते हैं.

दादा-दादी को भी करा चुके हैं यात्रा-
मेरठ के ये चारों भाई आज अपनी श्रवण कांवड़ में अपने माता-पिता को बैठाकर मुजफ्फरनगर पहुंचे, जहां इन्होंने बताया कि पहले वह अपने दादा-दादी को दो बार श्रवण कांवड़ में बैठाकर अपनी यात्रा कर चुके हैं. वहीं, पिछले तीन सालों से अब ये अपने माता-पिता को सावन मास की कांवड़ यात्रा करा रहे हैं.

15 किमी रोज चलते हैं- सुनील कुमार
इस श्रवण कांवड़ को ले जा रहे सुनील कुमार का कहना है कि हमारी जो कांवड़ है, एक तरफ मेरे पापा जी हैं, एक तरफ मेरी मम्मी हैं. इससे पहले हमने दादी का जोड़ा किया है. प्रताप नगर तहसील मवाना जिला मेरठ भोले हम चार भाई हैं. आपस में चारों भाई ही लाते हैं श्रवण कांवड़. रोज लगभग 15 किलोमीटर चलते हैं. वहीं, श्रवण कांवड़ ने बैठी माँ उषा देवी बता रही है कि बस अपनी मर्जी से लेके आए हैं. जी अच्छा लग रहा है बहुत. सबको मिले ऐसे बच्चे.

(संदीप सैनी की रिपोर्ट)

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