
महाराष्ट्र के अकोला जिले में सावन सोमवार के आखिरी सोमवार को आयोजित होने वाला देशविख्यात कावड़ उत्सव इस बार भी श्रद्धा और उत्साह के साथ संपन्न हुआ. यह परंपरा लगभग 80 साल पुरानी है और हर साल इसकी भव्यता लगातार बढ़ती जा रही है. इस बार उत्सव में लगभग 1.5 सौ पालकियां और 250 से अधिक कावड़ शामिल हुईं.
कावड़ यात्रा का सबसे बड़ा आकर्षण इस बार भी विशाल कावड़ रहा, जिसमें 1001 कलश शामिल थे. इसका कुल वजन करीब 5 टन था, जिसे उठाने के लिए ढाई हजार से तीन हजार कावधारी शामिल हुए. श्रद्धा और भक्ति से सराबोर ये कावधारी रातभर का 20 किलोमीटर लंबा सफर तय कर पूर्णा नदी से पवित्र जल लेकर अकोला के आराध्य देव राजराजेश्वर शिवलिंग को अर्पित करते हैं.
श्रद्धालुओं का सैलाब और भव्य झांकी
इस बार कावड़ यात्रा में “ऑपरेशन सिंदूर” की झांकी आकर्षण का मुख्य केंद्र रही. पारंपरिक कावड़ और पालकियों के साथ यह झांकी हजारों श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का कारण बनी. यात्रा में शामिल भक्तों ने इसे एक धार्मिक आस्था और सामाजिक संदेश का संगम बताया.
अकोला के साथ-साथ विदर्भ के अन्य हिस्सों, नासिक, सोलापुर, नागपुर, इंदौर और यहां तक कि आंध्र प्रदेश से भी भक्त इस भव्य आयोजन में शामिल होने पहुंचे. स्थानीय नागरिकों ने भी इसे एक अद्भुत धार्मिक उत्सव बताते हुए कहा कि यह न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक एकता और भाईचारे का भी उत्सव है.
पुलिस का कड़ा इंतजाम और ड्रोन कैमरों की तैनाती
कावड़ यात्रा में हर साल करीब 50,000 से अधिक लोग शामिल होते हैं. इतने बड़े आयोजन में सुरक्षा सुनिश्चित करना हमेशा पुलिस के लिए चुनौती रहता है. इस बार पहली बार पुलिस प्रशासन ने एक नई पहल की और भीड़ नियंत्रण तथा अनुचित गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल किया.
अकोला के एसएसपी अर्चित चांडक ने बताया कि इस बार कावड़ यात्रा की सुरक्षा के लिए करीब 2,500 पुलिसकर्मी तैनात किए गए. ड्रोन कैमरों की मदद से पूरी यात्रा मार्ग पर नजर रखी गई. यह पहली बार था जब अकोला पुलिस ने धार्मिक आयोजन में निगरानी के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया.
भक्तों का उत्साह
कावड़ यात्रा के दौरान भक्तों का उत्साह देखने लायक था. ढोल-नगाड़ों और भजन-कीर्तन के बीच हजारों लोग श्रद्धा से ओतप्रोत होकर इस आयोजन में शामिल हुए. श्रद्धालुओं ने राजराजेश्वर शिवलिंग पर जल अर्पित कर परिवार की सुख-समृद्धि और समाज की शांति की कामना की.
राजराजेश्वर पालकी मंडल के अध्यक्ष चंद्रकांत सावजी ने कहा कि कावड़ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक है. यह परंपरा आगे भी इसी श्रद्धा और जोश के साथ जारी रहेगी.
(धर्मेंद्र साबले की रिपोर्ट)