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Ganesh Pal Mandir: शादी से लेकर नौकरी की मनोकामना के लिए मौजूद है रजिस्टर, परिवार की 16वीं पीढ़ी कर रही मंदिर की सेवा

25 सालों से मंदिर में अलग-अलग रजिस्टर रखे गए हैं. शादी के लिए, बायोडेटा, नौकरी और घर से जुड़ी इच्छाएं. मन्नत पूरी होने पर लोग परिवार सहित लौटकर गणेश जी का धन्यवाद करते हैं.

आस्था का केंद्र, विश्वास का प्रतीक और मन्नतों का घर! राजस्थान के कोटा में एक ऐसा गणेश मंदिर है, जो 800-900 साल पुराना माना जाता है. यहां शादी, नौकरी, घर और जमीन-जायदाद से जुड़ी हर अर्जी भगवान गणेश तक पहुंचती है. और कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन से मन्नत मांग ले, वो खाली हाथ नहीं लौटता.

कोटा का गणेश पाल मंदिर शहर बसने से पहले नांता गांव के जमाने का है. तालाब की पाल पर बनने के कारण इसे गणेश पाल मंदिर कहा जाता है. यहां विराजमान गणेश जी को लोग ‘मनोकामना सिद्ध गणेश’ कहते हैं. मंदिर में मानव मुखी हनुमान की प्रतिमा और प्राकृतिक तिलक वाले शिवलिंग भी हैं।

ये मंदिर करीब 800-900 साल पुराना है. पहले लोग यहां अर्जी लगाते और जाली पर लच्छा बांधते थे. अब यहां रजिस्टर की व्यवस्था है. शादी, नौकरी और जमीन-जायदाद की मन्नतें यहां दर्ज की जाती हैं. हजारों लोगों की मन्नतें पूरी भी हो चुकी हैं.

परंपरा और मान्यता
पहले मंदिर में श्रद्धालु अपनी अर्जी लिखकर और लच्छा बांधकर मन्नत मांगते थे. पिछले 25 सालों से मंदिर में अलग-अलग रजिस्टर रखे गए हैं. शादी के लिए, बायोडेटा, नौकरी और घर से जुड़ी इच्छाएं. मन्नत पूरी होने पर लोग परिवार सहित लौटकर गणेश जी का धन्यवाद करते हैं. हर साल देशभर से 5 हजार से ज्यादा लोग शादी की मन्नत लेकर आते हैं. मंदिर से “तेल के गणेश” दिए जाते हैं, जिन्हें मन्नत पूरी होने के बाद लौटा दिया जाता है.

इतिहास से जुड़ी कहानी
करीब 700 साल पहले बूंदी के राजा ने कोटिया भील से युद्ध करने से पहले इसी मंदिर में 151 पंडितों से अनुष्ठान कराया था. मान्यता है कि गणेश जी ने राजा को दर्शन दिए और कहा कि विजय पाने के लिए पहले दाढ़ देवी के दर्शन करें. इसके बाद राजा ने ऐसा किया और युद्ध में जीत हासिल की.

आज भी जीवित है परंपरा
गणेश पाल मंदिर की सेवा एक ही परिवार की 16वीं पीढ़ी कर रही है. हर बुधवार हजारों भक्त यहां उमड़ते हैं. शादी से लेकर नौकरी और जीवन की हर कठिनाई को लेकर श्रद्धालु अर्जी लगाते हैं.

-चेतन गुर्जर की रिपोर्ट