
गणेशोत्सव का रंग इस बार अकोला में कुछ खास दिखाई दे रहा है. यहां केवल धार्मिक श्रद्धा और भक्ति ही नहीं, बल्कि सामाजिक संदेश और सरकारी योजनाओं की झलक भी देखने को मिल रही है. सिंधी कैंप स्थित रोज परिवर्तन गणेश पंडाल, जो पिछले 31 वर्षों से हर साल सामाजिक संदेश के साथ अपनी खास पहचान बनाता आ रहा है, इस बार सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के अनोखे प्रदर्शन की वजह से चर्चा में है.
भव्य गणपति बप्पा की प्रतिमा के साथ-साथ पंडाल में झांकियों के ज़रिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को बेहद कलात्मक अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है. यह पहल भक्तों के बीच न केवल आकर्षण का केंद्र बनी है बल्कि आम लोगों के लिए जागरूकता फैलाने का माध्यम भी बन रही है.
पंडाल में दिखाई गई प्रमुख झांकियां
1. लाड़की बहन योजना: राज्य सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का दृश्य दिखाया गया है, जिसके तहत महिलाओं को ₹1500 की आर्थिक सहायता दी जा रही है.
2. महिलाओं के लिए परिवहन सुविधा: सरकारी बसों में 50% टिकट छूट का लाभ दर्शाया गया है, जिससे महिलाओं की आवाजाही और सशक्तिकरण पर जोर दिया गया.
3. उज्ज्वला योजना: केंद्र सरकार की इस योजना के तहत गरीब परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन और ऊर्जा की बचत के लिए सौर ऊर्जा का संदेश दिया गया.
4. सरकारी राशन योजना: करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन देने की झांकी आकर्षण का बड़ा हिस्सा बनी.
यही नहीं, पंडाल में केवल योजनाओं को ही नहीं बल्कि अकोला पुलिस का "प्रहार अभियान" भी विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया है. इस अभियान के तहत शहर और जिले में नशे के खिलाफ चल रही कार्रवाई को झांकी के माध्यम से दिखाया गया है. यह नई पीढ़ी को नशे के दुष्प्रभाव से बचाने और समाज को जागरूक करने का सशक्त संदेश देता है.
भक्तों का उत्साह
मनोहर ज्ञानचंदानी, पंडाल अध्यक्ष ने बताया, "हम हर साल गणपति बप्पा के साथ समाज में उपयोगी संदेश देने की कोशिश करते हैं. इस बार केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को कलात्मक रूप से प्रदर्शित किया गया है, ताकि आम जनता को इसका सीधा फायदा और जानकारी मिल सके."
गणपति बप्पा की भव्य सजावट और झांकियों की कलात्मक प्रस्तुति भक्तों को अपनी ओर खींच रही है. लोग यहां न केवल बप्पा के दर्शन करने पहुंच रहे हैं बल्कि सरकारी योजनाओं की जानकारी लेकर जागरूक भी हो रहे हैं.
अकोला का यह पंडाल इस बार केवल धार्मिक आयोजन का हिस्सा नहीं बल्कि सामाजिक जागरूकता और सरकारी नीतियों के प्रचार-प्रसार का बेहतरीन उदाहरण बन गया है.
(धनंजय साबले की रिपोर्ट)