
चांदी हमारे जीवन में प्रयोग होने वाली एक प्रमुख धातु है. इसे भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र और सात्विक माना जाता है. मान्यता है कि चांदी का उद्भव भगवान शिव के नेत्रों से हुआ था, इसलिए इसका आध्यात्मिक महत्व भी विशेष है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चांदी का सीधा संबंध चंद्रमा और शुक्र ग्रह से है. चांदी शरीर में जल तत्व और कफ धातु को नियंत्रित करती है. चंद्रमा की शांति और शुक्र की प्रसन्नता के लिए इसका उपयोग विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है.
शरीर और मन पर चांदी का प्रभाव
पंडित शैलेंद्र पांडेय का कहना है कि चांदी न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से पवित्र है, बल्कि यह हमारे शरीर, मन और भावनाओं पर भी गहरा प्रभाव डालती है. चांदी धारण करने से मन मजबूत होता है और दिमाग की कार्यक्षमता बढ़ती है. ज्योतिष में कहा गया है कि चांदी चंद्रमा की अशुभता को कम करती है और शुक्र को मजबूत बनाती है, जिससे मन प्रसन्न रहता है.
इसके अलावा, चांदी शरीर में जमा विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने में मदद करती है. इसका प्रयोग त्वचा को कांतिवान बनाता है और हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है.
चांदी का सही उपयोग
चांदी धारण करते समय सावधानियां
चांदी सिर्फ एक आभूषण ही नहीं, बल्कि यह स्वास्थ्य, मानसिक शांति, ज्योतिषीय संतुलन और धार्मिक आस्था का प्रतीक है. सही तरीके से चांदी का प्रयोग करने से शरीर, मन और ग्रहों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
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