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Alwar: 360 सीढ़ियां, 3 किमी की चढ़ाई, छोटा अमरनाथ के नाम से मशहूर... राजस्थान की पहाड़ियों में है मंदिर

अमरनाथ गुफा की तरह भगवान शिव का एक मंदिर राजस्थान के पहाड़ियों में है. इसे छोटा अमरनाथ भी कहते हैं, क्योंकि पहाड़ों में गुफा के अंदर होने के कारण ऊपर चढ़ना पड़ता है. मंदिर में करीब 360 सीढ़ियां भी बनी हुई है.

Lord Shiva Temple Lord Shiva Temple

गुफा में विराजमान भगवान शिव की जब बात होती है तो सबसे पहले अमरनाथ का नाम आता है. लेकिन राजस्थान के अलवर की अरावली की पहाड़ियों में सरिस्का के जंगलों के बीच एक ऐसा मंदिर है, जहां गुफा के अंदर भगवान शिव विराजमान हैं. सावन के महीने में यहां मेला लगता है. कई राज्यों से लोग भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं. 

पहाड़ी पर 3 किमी चलना पड़ता है पैदल-
भगवान शिव के इस खास मंदिर तक पहुंचने के लिए 3 किलोमीटर पहाड़ियों में पैदल चलना पड़ता है. इतना ही नहीं, 360 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. मंदिर के रास्ते में घना जंगल आता है और इस दौरान कई जगह पर झरने बहते हैं. यह मंदिर और मंदिर के आसपास का दृश्य किसी बड़े हिल स्टेशन से काम नहीं लगता है.

अलवर जयपुर हाईवे पर स्थित रोड से करीब 3 किलोमीटर ऊपर पहाड़ों में पैदल जाना पड़ता है. श्रद्धालुओं को पहाड़ों के पथरीले रास्तों से गुजरना पड़ता है. पहाड़ों से बहने वाले झरने और बरसाती नालों से होकर दर्शनार्थियों को पैदल जाने में खासी परेशानी होती है.

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अगर पहाड़ों में अच्छी बरसात आ जाती है तो यहां नाले उफान पर बहते हैं और श्रद्धालु पानी की वजह से पहाड़ पर ही फंस जाते हैं.

गुफा में शिवलिंग-
अलवर के अरावली पहाड़ियों में सरिस्का की वादियों के बीच नंलदेश्वर महादेव मंदिर में सावन महीने में मेला लगता है. यह मंदिर अन्य मंदिरों से खास व अलग है. पहाड़ों में गुफा के अंदर भगवान शिव परिवार के सहित विराजमान है. 

जिले के लोग इसे छोटा अमरनाथ भी कहते हैं, क्योंकि पहाड़ों में गुफा के अंदर होने के कारण ऊपर चढ़ना पड़ता है. मंदिर में करीब 360 सीढ़ियां भी बनी हुई है. जो पहाड़ के नीचे झड़ने से गुफा तक जाती है. जिसमें श्रद्धालुओं को चढ़ना पड़ता है.

क्या है इस मंदिर की कहानी-
माधोगढ़ पूर्व उपसरपंच पदमचंद गुर्जर ने बताया इस क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ गया था, तब यहां के राजा नल ने इस गुफा के अंदर बैठकर शिव भगवान की तपस्या की थी. उसके बाद इस स्थान को नल्देश्वर के नाम से जाना जाता है. यह प्राचीन गुफा है। सावन के सभी सोमवार को अधिक भीड़ रहती है. साथ ही सावन के अंतिम सोमवार को नलदेश्वर जी के विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है. जिसमें सैकड़ो मण दूध की खीर मालपुआ का प्रसाद चढ़ता है. यहां पर झरने में बहते हुए पानी के नाले होने के कारण पुलिस विभाग द्वारा यहां पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं. पहाड़ों में स्थित होने के कारण से छोटा अमरनाथ भी कहते हैं. वैसे तो यहां साल भर भीड़ रहती है. श्रद्धालु बाबा शिव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. लेकिन सावन के महीने में हमेशा यहां मिले जैसा माहौल रहता है. राजस्थान के अलावा आसपास के राज्य और शहरों से भी यहां लोग भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं.

(हिमांशु शर्मा की रिपोर्ट)

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