
गणेशोत्सव का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. ऐसे में गुजरात के वडोदरा शहर में एक मुस्लिम परिवार अपने हुनर और मेहनत से भाईचारे की ऐसी मिसाल पेश कर रहा है, जिसकी चर्चा दूर-दूर तक हो रही है. फतेहपुरा इलाके में रहने वाला सिराज पठान और उनका परिवार हर साल हिंदू त्योहारों में थर्मोकोल से सजावट कर अपना योगदान देता है. इस बार भी उन्होंने गणपति पंडालों और मंदिरों को सजाने का जिम्मा उठाया है.
पीढ़ियों से मिला है ये हुनर
फिलहाल यह परिवार शिवाजी महाराज के महल की तर्ज पर एक भव्य किले की सजावट कर रहा है. सिराज पठान बताते हैं कि यह काम वह बचपन से कर रहे हैं और यह हुनर उन्हें पीढ़ियों से मिला है. परिवार के सदस्य थर्मोकोल से छोटे-बड़े मंदिर, पंडाल, सिंहासन और कटिंग का काम करते हैं. इतना ही नहीं, वे वाल्मीकि समाज और गोगापीर की लकड़ियों की सजावट से लेकर दरगाह और मस्जिद तक को भी बखूबी सजाते हैं.
सिराज पठान का कहना है कि वे किसी भी त्योहार को सिर्फ एक धर्म तक सीमित नहीं मानते. यही वजह है कि उनका परिवार मुहर्रम, ईद-ए-मिलादुन्नबी, गणपति स्थापना और दशहरे जैसे त्योहारों की तैयारियां छह महीने पहले से शुरू कर देता है. उनका मानना है कि त्योहार चाहे किसी भी धर्म का हो, उसकी खूबसूरती सजावट और एकता में ही है.
गोधरा कांड के समय भी नहीं छोड़ा काम
सिराज पठान ने याद किया कि 2002 के गोधरा कांड के दौरान जब पूरे गुजरात में तनाव और कर्फ्यू का माहौल था, तब भी उन्होंने मंदिरों की सजावट का काम बंद नहीं किया. उस समय कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि मुसलमान होकर मंदिर सजाना ठीक है या नहीं, लेकिन हिंदू समुदाय ने उनका हौसला बढ़ाया और बड़े-बड़े ऑर्डर भी दिए. सिराज कहते हैं कि वही विश्वास और भरोसा आज तक कायम है और अब माहौल पहले से बेहतर है.
भाईचारे की मिसाल
यह मुस्लिम परिवार न सिर्फ घरों के लिए बल्कि बड़े सार्वजनिक पंडालों की सजावट भी करता है. खास बात यह है कि परिवार का हर सदस्य इस काम में हाथ बंटाता है और किसी भी तरह के भेदभाव के बजाय सिर्फ कला और भाईचारे को प्राथमिकता देता है.
त्योहारों के मौके पर जब धर्म और समुदाय की दीवारें खड़ी होती दिखती हैं, तब सिराज पठान और उनका परिवार अपने हुनर से यह संदेश देते हैं कि त्योहार मिल-जुलकर मनाने से ही उनकी असली खूबसूरती सामने आती है.
(दिग्विजय पाठक की रिपोर्ट)