Sun (Photo/PTI)
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भगवान सूर्य नारायण जो धरती पर साक्षात देवता के रुप में सदियों से पूजे जाते रहे हैं. जिनका प्रतीक रघुकुल की शोभा रहा है. जिनकी उपासना स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने की है. ऐसी अलौकिक ऊर्जा के स्त्रोत सूर्य हैं. विज्ञान मानता है कि अगर सूर्य ना होते तो ये दुनिया भी ना होती. ज्योतिष में सौरमंडल का राजा कहे जाते हैं सूर्य. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूर्य ही इस चराचर संसार का केन्द्रबिंदु है. यश अपयश, सुख-दुख, राजा-रंक और बीमारी या खुशहाली का कारण हैं.
क्या है सूर्य का महत्व ?
नवग्रहों में सूर्य सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है. ज्योतिष में सारी गणनायें सूर्य और चन्द्रमा पर ही आधारित होती हैं. ज्योतिष में सूर्य को व्यक्ति की आत्मा माना जाता है. मानव जीवन की समस्त चीज़ें सूर्य के इर्द गिर्द ही घूमती हैं. व्यक्ति का सम्पूर्ण स्वास्थ्य और सफलता सूर्य पर ही निर्भर करती है. सूर्य का सम्बन्ध शासन, राज्य, यश, हड्डियों और ह्रदय से होता है. केवल सूर्य को नियंत्रित करके जीवन की सभी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है.
धर्मग्रंथ कहते हैं कि सूर्य ही परमात्मा है और साक्षात ब्रह्म का रूप है. जो सत्य और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक हैं. सूर्य सुशासन और संतुलन का भी प्रतीक हैं, जो सभी प्राणियों के कर्मों को देखते हैं. यानी सूर्य की शुभता पाने के लिए हमें अपने आचरण को सुधारना होगा. जीवन में सफलता पाने लिए आपको सूर्य की आराधना करनी ही होगी. ऐसा नहीं करने पर बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
क्या होता है जब सूर्य शुभ फल देता है?
व्यक्ति का चेहरा तेजस्वी होता है. व्यक्ति नेतृत्वकर्ता होता है, समस्याओं को सुलझाने में आगे रहता है. ऐसे लोगों को नाम यश बहुत आसानी से मिलता है. ये लोग अपने क्षेत्रों में अगुवा होते हैं. इन लोगों को लकड़ी की वस्तुओं का काफी शौक होता है. ये लोग कभी कभी बहुत अहंकारी भी हो जाते हैं.
वैदिक काल से ही सूर्य की उपासना होती रही है. सुबह सूर्य को अर्घ्य देने की सनातनी परंपरा रही है, जो मंत्रों के माध्यम से और मंदिरों में सूर्य नारायण की उपासना के रूप में होती रही है.
क्या होता है जब सूर्य अशुभ फल देता है?
व्यक्ति को कुछ न कुछ स्वास्थ्य की समस्या लगी रहती है. व्यक्ति को आँखों और हड्डियों की समस्या जरूर होती है. व्यक्ति को राज्य और सरकारी मामलों में समस्या होती है. ऐसे लोग कभी भी नेतृत्व नहीं कर पाते. ऐसे लोगों को पिता या बड़े भाई का सुख नहीं मिलता. इनके सर में दर्द या भारीपन की समस्या लगी रहती है. इनको किये हुए कार्यों का यश नहीं मिल पाता.
कहते हैं कि सूर्य के प्रकाश से ही कई देवताओं के अस्त्र बनाए गये हैं. जिसमें शिव का त्रिशूल और विष्णु का चक्र भी शामिल है. इसीलिए सूर्य की महिमा का गुणगान देवता भी करते हैं. कथा हैं कि श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब ने कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए सूर्य की पूजा की थी. स्वयं बजरंगबली को सूर्य से शक्तियों का वरदान हासिल हुआ था. सूर्य पुत्र कर्ण तो अपनी दिनचर्या का आरंभ ही सूर्य उपासना के साथ करते थे.
सूर्य की पहली समस्या नेत्र रोग-
सूर्य मुख्यतः नेत्र ज्योति का कारक होता है. सूर्य की कमजोरी आँखों की समस्या पैदा करती है. सूर्य का मजबूत होना व्यक्ति को आँखों की हर समस्या से निकाल सकता है. सूर्य उम्र बढ़ने के साथ आंखों में ग्लूकोमा और मोतियाबिंद भी पैदा करता है. नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करें. सूर्य के समक्ष बैठकर सूर्य मन्त्र का जप करें. प्रकाश वाले कमरे या घर में रहने का प्रयास करें. सलाह लेकर एक माणिक्य धारण करें. यानी अपनी रौशनी और ऊर्जा से पूरी धरती का पालन पोषण करने वाले सूर्य देव का हमारी आंखों की रोशनी का से भी संबंध है. तो अगर आपको आंखों संबंधी कोई परेशानी हो रही है तो हो सकता है कि आपकी कुंडली का सूर्य कमजोर हो.
ज्योतिष में माना गया है कि अच्छी सेहत का वरदान पाने के लिए सूर्य उपासना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. विज्ञान मानता है कि सूर्य की रोशनी से हमें विटामिन डी मिलता है. इसकी कमी से हड्डियों से संबंधित रोग हो सकते हैं. ज्योतिष शास्त्र भी मानता है कि मानव की हड्डि़यों के विकार के लिए सूर्य से संबंधित बाधा ही है.
सूर्य की दूसरी समस्या हड्डियों की समस्या-
सूर्य हड्डियों की मजबूती से सीधा सम्बन्ध रखता है. सूर्य के कारण विटामिन डी की कमी हो सकती है. सूर्य अगर हड्डियों का रोग दे तो चलने फिरने में मुश्किल होती है. पीठ और रीढ़ की हड्डी की समस्या परेशान करती है. नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करें. सूर्य के इक्कीस नामों का उच्चारण करें. प्रातःकाल ही सूर्य की ओर पीठ करके बैठें. सलाह लेकर एक माणिक्य धारण करें. ताम्बे के पात्र से जल पीने प्रयास करें.
सूरज को आरोग्यता प्रदान करने वाला देवता भी कहते हैं, क्योंकि माना जाता है कि सूरज की रोशनी कई रोगों का नाश करती है और शरीर को मजबूत करती है. कुंडली में सूर्य का कमजोर होना अक्सर हृदय रोग के कारण से भी जोड़कर देखा गया है.
सूर्य की तीसरी समस्या ह्रदय रोग-
सूर्य की खराबी अक्सर ह्रदय रोग का कारण बनती है. सूर्य शनि या सूर्य राहु का सम्बन्ध इसमें बड़ी भूमिका निभाता है. अगर सूर्य की वजह से ह्रदय रोग की अंदेशा हो तो. नित्य प्रातः जल में रोली मिलाकर सूर्य को जल अर्पित करें. आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें. ताम्बे का कड़ा या छल्ला जरूर धारण करें.
ऋग्वेद में सूर्य के रथ की व्याख्या मिलती है. लिखा है कि सूर्य देव सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं. सूर्य की रश्मियां ही उनका अश्व हैं. सूर्य के उदित होने पर उसकी रश्मियां अश्व की तरह ही बहुत वेग से सभी दिशाओं में विस्तरित होती हैं. और समूचे ब्रह्मांड में जीवन और ऊर्जा का कारण बनती है.
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