
Worship of Hanuman Ji: हनुमान जी (Hanuman Ji) को चिंरजीवी होने का वरदान प्राप्त है. ऐसी धार्मिक मान्यता है बजरंगबली कलयुग में भी धरती पर विराजमान हैं. कहा जाता है कि जहां कहीं भी प्रभु श्रीराम का नाम लिया जाता है या अखंड रामायण का पाठ होता है, वहां पर हनुमान जी उसे सुनने के लिए पहुंच जाते हैं. हनुमान जी की मंगलवार और शनिवार को आराधना करने से भक्त पर उनकी विशेष कृपा बरसती है. कहते हैं जो संकट कोई न टाले, वो भी संकटमोचन हनुमान जी टाल देते हैं. आइए आज बजरंगबली से जुड़ी 10 रोचक बातों के बारे में जानते हैं.
कहां रहते हैं कलयुग में हनुमान जी
हनुमान जी आज भी धरती पर हैं. श्रीमद्भागवत कथा के मुताबिक हनुमान जी त्रेतायुग और द्वापर युग दोनों में उपस्थित थे. भगवान राम ने बजरंगबली को कलयुग में भक्तों की सहायता करने का दायित्व सौंपा है. कल्कि पुराण और विष्णु पुराण में बताया गया है कि जब भगवान विष्णु धर्म की रक्षा के लिए कल्कि अवतार के रूप में धरती पर जन्म लेंगे, तो उस समय बजरंगबली प्रभु श्रीराम की सहायता करने के लिए आएंगे. अब आप सोच रहे हैं कि यदि हनुमान जी धरती पर हैं तो उनका निवास स्थान कहां है.
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार हनुमान जी ने कलयुग में गंधमादन पर्वत पर रहने का फैसला किया. गंधमादन पर्वत हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर दिशा में स्थित है. वर्तमान में गंधमादन पर्वत तिब्बत क्षेत्र में स्थित है. महर्षि कश्यप ने गंधमादन पर्वत पर ही तपस्या की थी. पहले इस जगह पर फूलों और वनस्पतियों की मनमोहक महक आती थी. इसी के चलते इसका नाम गंधमादन पर्वत पड़ गया. गंधमादन पर्वत हनुमान जी का मंदिर है. इस मंदिर में प्रभु राम की भी मूर्ति है. यहां भगवान राम के पैरों के निशान भी हैं. ऐसी मान्यता है कि इस पर्वत पर हनुमान जी रूप बदलकर भक्तों को दर्शन देते हैं.
हनुमान जी जुड़ीं रोचक बातें
1. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक हनुमान जी भगवान शिव के अंश हैं. भोलेनाथ के 11वें रुद्र अवतार बजरंगबली हैं.
2. हनुमान जी का विवाह सूर्यदेव की पुत्री सुवर्चला से हुआ था. यह विवाह केवल हनुमान जी को सिद्धियों की प्राप्ति के लिए कराया गया था. हनुमान जी ने नौ विद्याओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिए सूर्यदेव को अपना गुरु बनाया था. सूर्यदेव ने हनुमान जी को पांच विद्याओं का ज्ञान दिया था, लेकिन बाकी चार विद्याओं को प्राप्त करने के लिए हनुमान जी का विवाहित होना आवश्यक था, इसलिए हनुमान जी ने सुवर्चला से विवाह किया.हनुमान जी ने विवाह से पहले सूर्यदेव से कहा, मैं तो बाल ब्रह्मचारी हूं. फिर मैं विवाह कैसे कर सकता हूं. तब सूर्य भगवान ने कहा कि आप मेरी पुत्री संग विवाह करने के बाद भी ब्रह्मचारी और तपस्वी रह सकते हो. इसके बाद सूर्य भगवान की पुत्री सुवर्चला देवी के साथ हनुमान जी का विवाह हो गया. हालांकि, विवाह के बाद दोनों अपनी-अपनी तपस्या के लिए वापस लौट गए.
3. पुराणों में हनुमान जी के सगे भाइयों के बारे में बताया गया है. बजरंगबली के पांच भाई मतिमान, श्रुतिमान, गतिमान, केतुमान और धृतिमान थे. हनुमान जी अपने भाइयों में सबसे बड़े हैं.
4. पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी के पुत्र का नाम मकरध्वज है. मकरध्वज का जन्म हनुमान जी के पसीने से हुआ था. बजरंगबली के पुत्र की जन्म की कहानी के अनुसार जब हनुमान जी लंका जला कर समुद्र में आग बुझाने को कूदे थे, तब उनके शरीर का तापमान बहुत ज्यादा था. जब वह सागर के ऊपर थे, तब उनके शरीर के पसीने की एक बूंद सागर में गिर गई थी, जिसे एक मकर अर्थात मछली ने पी लिया था. उसी पसीने की बूंद से उसने गर्भधारण किया. एक मछली से जन्म लेने के कारण ही हनुमान जी के पुत्र का नाम मकरध्वज पड़ा.
5. हनुमान जी हमेशा गदा धारण किए रहते हैं. हनुमान जी के एस गदा का नाम कौमोदकी है. इसे कुबेर भगवान ने हनुमान जी को दिया है.
6. आपने यह तो सुना होगा द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक अंगुली पर उठाया था लेकिन क्या आप जानते हैं द्वापरयुग से भी पहले त्रेतायुग में हनुमान जी ने अपनी अंगुलियों से इस पर्वत को उठाया था.
7. हनुमान जी ने अहिरावण से प्रभु राम और लक्ष्मण को छुड़ाने के लिए पंचमुखी रूप धारण किया था. हनुमान जी के पांच मुख में पहला हनुमान मुख (पूर्व दिशा), दूसरा गरुड़ मुख (पश्चिम दिशा), तीसरा वराह मुख (उत्तर दिशा), चौथा नरसिंह मुख (दक्षिण दिशा) और पांचवां हयग्रीव मुख (आकाश की ओर) है.
8. हनुमान जी कलयुग में गंधमादन पर्वत पर रहते हैं. यह हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर दिशा में स्थित है.
9. हनुमान चालीसा में बजरंगबली की 8 सिद्धियों और 9 निधियों का उल्लेख विशेष रूप से किया गया है, जो हनुमान जी की दिव्य शक्तियों और चमत्कारिक गुणों को बतलाते हैं. 9 निधियों में महापद्म निधि, पद्मा निधि, मुकुंद निधि, नंद निधि, मकर निधि, कच्छप निधि, शंख निधि, कुंड निधि और खारवा निधि शामिल हैं.
10. बजरंगबली की 8 सिद्धियों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व शामिल हैं.