
Bhai Dooj: हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. इस बार भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर दिन गुरुवार को मनाया जाएगा. भाई दूज को यम द्वितीया, भाई द्वितीया, भाऊ बीज और भतरु द्वितीया जैसे नामों से भी जाना जाता है. भाई दूज के दिन यमराज और चित्रगुप्त की पूजा की जाती है. इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर रोली और अक्षत से तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु, सुख-समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं. भाई भी अपनी बहन को उपहार देकर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं.
भाई दूज पर तिलक करने का क्या है शुभ मुहूर्त
1. भाई दूज पर इस बार तिलक करने का चार शुभ मुहूर्त है.
2. पहला मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 28 मिनट तक रहेगा.
3. दूसरा अभिजीत मुहूर्त रहेगा, जो कि सुबह 11 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा.
4. तीसरा विजय मुहूर्त रहेगा, जो कि दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से दोपहर 2 बजकर 43 मिनट तक रहेगा.
5. चौथा गोधूली मुहूर्त रहेगा, जिसका समय शाम 5 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर शाम 6 बजकर 09 मिनट तक रहेगा.
6. बहनें अपनी सुविधा और समयानुसार इन शुभ मुहूर्तों में भाई को तिलक कर सकती हैं. हालांकि दोपहर का मुहूर्त सबसे उत्तम माना गया है.
कैसे करें भाई को टीका
1. भाई दूज के दिन भाई सुबह चंद्रमा का दर्शन करें. इसके बाद यमुना के जल से या अन्य जल से स्नान करें.
2. इसके बाद बहन के घर जाएं और वहां बहन के हाथों से बना हुआ भोजन ग्रहण करें.
3. इसके बाद बहनें भाई को चौकी पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बिठाएं.
4. फिर भाई के माथे पर तिलक करके आरती करें. भाई की विजय की कामना करते हुए अंगूठे से तिलक करना चाहिए.
5. तिलक के बाद भाई के हाथ में कलावा या रक्षा सूत्र बांधें.
6. भाई अपनी यथाशक्ति के अनुसार अपनी बहन को उपहार दें.
7. तिलक करते समय बहन यदि भाई के माथे पर चंदन या केसर का तिलक लगाए तो उससे उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.
8. भाई दूज के दिन टीका करते समय यम का दीपक भी जलाएं, जिससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त होगा.
बहनें अपने भाई को क्यों लगाती हैं तिलक
पौराणिक कथा के मुताबिक भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे. यमुना ने अपने भाई का खूब आदर-सत्कार किया, उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया और तिलक किया. बहन के प्रेम से प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना को वरदान मांगने के लिए कहा. यमुना जी ने अपने भाई यमराज से ये वरदान मांगा कि आज के दिन जो भी बहन अपने भाई को तिलक करके अपने हाथों से बना भोजन कराएगी, उस भाई को आप प्रताड़ित नहीं करेंगे. इस पर यमराज ने अपनी बहन को ये वरदान दे दिया, इसलिए ये पर्व मनाया जाता है और बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर आरती उतरती हैं. इस दिन विधि विधान से पूजा करने और भाई के माथे पर तिलक लगाने से भाई की अकाल मृत्यु के संकट से रक्षा होती है. भाई दीर्घायु को प्राप्त करता है.