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Unique Village: अनोखा गांव! नहीं जलाया जाता है रावण, Bhathkhedi में होती है इस राक्षस की पूजा

मध्य प्रदेश के राजगढ़ में एक गांव भाटखेड़ी है, जहां रावण को जलाया नहीं जाता है. इस गांव में रावण की पूजा की जाती है. इसके साथ ही इस गांव में रावण और कुंभकर्ण की प्रतिमा भी है. इसके पीछे एक अनोखी मान्यता है. चलिए उसके बारे में बताते हैं.

Bhathkhedi Village Bhathkhedi Village

भारत में दशहरे का त्योहार असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक रूप में मनाया जाता है. पूरे देश में इस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है. लेकिन मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के एक गांव भाटखेड़ी (रावण वाली) में रावण को एक आस्था का देवता माना जाता है. यह गांव रावण के प्रति एक अनोखी श्रद्धा और विश्वास के लिए जाना जाता है.

इस गांव में होती है रावण की पूजा-
भाटखेड़ी गांव में रावण और उसके भाई कुम्भकर्ण की विशाल प्रतिमाएं सड़कों किनारे स्थापित हैं, जो यहां के ग्रामीणों और आसपास के लोगों के लिए आस्था का केंद्र हैं. यहां रावण को बुराई का प्रतीक नहीं, बल्कि एक मन्नत पूर्ण करने वाला देवता माना जाता है. ग्रामीण नियमित रूप से इन प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना करते हैं और मन्नत मांगने आते हैं. मन्नत पूरी होने पर प्रसाद चढ़ाया जाता है और आभार व्यक्त किया जाता है.

रामलीला की परंपरा-
भाटखेड़ी में दशहरे से पहले रावण और कुम्भकर्ण की मूर्तियों का रंग-रोगन किया जाता है. नवरात्रि के दौरान यहां रामलीला का आयोजन भी कई वर्षों से हो रहा है. दशहरे के दिन, रावण की पूजा के साथ-साथ राम और लक्ष्मण के पात्र ग्रामवासियों को छूकर उनकी खुशहाली और समृद्धि के लिए आशीर्वाद देते हैं. यह अनूठी परंपरा भाटखेड़ी को आसपास के इलाकों में अलग पहचान देती है.

क्या है मान्यता-
इस गांव में यह विश्वास गहरा है कि रावण मन्नतों को जरूर पूरा करता है. इसलिए लोग यहां मन्नत मांगने के लिए दूर-दूर से आते हैं. देश के अन्य हिस्सों में जहां रावण को दुष्ट के रूप में देखा जाता है और उसका दहन किया जाता है, वहीं भाटखेड़ी में उसे पूज्यनीय माना जाता है.

राजगढ़ जिले के भाटखेड़ी गांव की यह अनोखी परंपरा दशहरे के त्योहार को एक नया आयाम देती है. यहां रावण की पूजा से जुड़ी आस्था और विश्वास ग्रामीणों के सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह गांव साबित करता है कि हमारे देश की विविधता में कितनी अनोखी और रोचक परंपराएं समाहित हैं.

(पंकज शर्मा की रिपोर्ट)

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