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काशी विश्वनाथ में श्रद्धालुओं के लिए आईं कागज से बनी हैंडमेड चप्पलें, खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने शुरू की बिक्री

काशी विश्वानाथ मंदिर में कागज की बनी चप्पलें बिक्री के लिए लाई गयी हैं. इन चप्पलों का इस्तेमाल मंदिर, रसोईघर, घर के पूजाघर में भी किया जा सकता है. लोग इन चप्पलों को लेने में खूब दिलचस्पी दिखा रहें हैं.  

कागज से बनी हैंडमेड चप्पलें कागज से बनी हैंडमेड चप्पलें
हाइलाइट्स
  • हैंडमेड पेपर से बनी चप्पलें पहन कर मंदिर में जा सकेंगे श्रद्धालु.

  • खादी और ग्राम्य इंडस्ट्री कमीशन ने बनाई एनवायरमेंट फ्रेंडली चप्पलें.

काशी विश्वानाथ मंदिर में भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है. सर्दी, गर्मी, बरसात किसी भी मौसम में यहां आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ कम नहीं होती. ऐसे में काशी विश्वानाथ मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्त अब कागज के चप्पल पहन पाएंगे. सर्दियों के मौसम में भक्तों को ठंड से बचाने के लिए ये फैसला लिया गया है कि भक्त अब मंदिर में कागज के चप्पल पहन सकेंगे. खादी और ग्राम्य इंडस्ट्री कमीशन के जरिए ये चप्पल बनायी जाएंगी, जोकि एनवायरमेंट फ़्रेंडली होने के साथ-साथ हजारों लोगों को रोजगार भी देंगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद से ही विश्वनाथ मंदिर में लोगों की सहूलियतों के लिए कुछ न कुछ रोज नया देखने को मिल रहा है. हाल ही में खुद पीएम मोदी ने विश्वनाथ मंदिर के सुरक्षाकर्मी और दूसरे कर्मियों के लिए जूट के जूतों का तोहफा भेजा था. जिसके बाद अब खादी और ग्रामोद्योग आयोग की ओर से आम श्रद्धालुओं का ख्याल करते हुए  हैंडमेड पेपर और जूट से निर्मित चप्पलों को तैयार कर खादी की दुकानों में बिक्री शुरू कर दी गई है. 

श्रद्धालुओं में खुशी की लहर

अब काशी विश्वनाथ के दरबार में जाने वाले श्रद्धालुओं को संगमरमर और टाइल्स की जमीन पर नंगे पैर खड़े रहने से ना तो ठंड लगेगी और ना ही गर्मी के दिनों में पैर जलेंगे. ऐसा इसलिए संभव हो सका है, क्योंकि खुद दिल्ली से खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने सैकड़ों जोड़ी जूट और कागज से निर्मित चप्पलों को मंदिर के नजदीक की दुकान पर बिक्री के लिए भेज दिया है. आयोग की इस पहल से श्रद्धालुओं में खुशी की लहर है.  

कागज से बनी हैंडमेड चप्पलें
कागज से बनी हैंडमेड चप्पलें

हैंडमेड पेपर की चप्पल लेने खादी इंडिया की दुकान पर आई सुषमा कहती हैं कि इन शुद्ध चप्पलों की लाइफ चार महीने तक है. लिहाजा मंदिर, घर के पूजाघर और रसोई में भी इसका इस्तेमाल करना काफी अच्छा होने वाला है. वहीं एक भक्त रवि पांडेय ने कहा कि अब तक विश्वनाथ मंदिर में नंगे पैर ही दर्शन के लिए प्रवेश मिलता था, जिससे गर्मी के दिनों में तपिश तो सर्दियों में पैर में ठंड लगने लगती थी. अब चूकि मंदिर का दायरा भी बढ़ चुका है और चारों ओर मार्बल,टाइल्स भी लग गयी है. ऐसे में कागज की चप्पलों का इस्तेमाल करना बहुत नेक पहल है. 

हैंडमेड पेपर से बनी चप्पलें 

वहीं दूसरी ओर खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने हैडमेड कागज जूट के चप्पलों की बिक्री मंदिर के नजदीक ही काशी हस्तकला प्रतिष्ठान को सौपी है. जिसके सचिव धनंजय सिंह ने बताया कि चूंकि विश्वनाथ मंदिर का दायरा बढ़ गया है, साथ ही संगमरमर और टाइल्स भी काफी लगा हुआ है. ऐसे में सर्दियों में ठंड लगेगी तो गर्मी में पैर भी जलेगा. जिससे बचने के लिए कागज की बनी चप्पलें बिक्री के लिए लाई गयी हैं. इन चप्पलों का इस्तेमाल मंदिर, रसोईघर, घर के पूजाघर में भी किया जा सकता है. पीएम मोदी की  जूट के चप्पलों को देखते हुए खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने इन खास कागज की चप्पलों को तैयार कराया है. लोग इन चप्पलों को लेने में खूब दिलचस्पी दिखा रहें हैं.