
दीवाली और धनतेरस की तैयारी जोरशोर से चल रही है. 18 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा. ये त्योहार कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. धनतेरस के दिन खरीदारी करना शुभ माना जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है. चलिए आपको बताते हैं कि इस दिन पूजा में किन चीजों का इस्तेमाल होता है.
धनतेरस पूजा के लिए कौन-कौन सी पूजा सामग्री चाहिए?
धनतेरस पर मां लक्ष्मी, गणेश, धन्वंतरि और कुबेर की पूजा होती है. इसके लिए इन देवी-देवताओं की मूर्ति लेनी चाहिए. इसके साथ ही अगरबत्ती, धूप, माचिस और कुमकुम की जरूरत होती है. इसके साथ ही हल्दी, चावल और जनेऊ, मिठाई, आम के पत्ते, नारियल, नी झाड़ू, मिट्टी के दीए, फूल और फल, गंगाजल और कलश, चांदी या सोने के सिक्के और लाल कपड़ा लगता है.
धनतेरस पर क्या खरीदना सबसे शुभ माना जाता है?
धनतेरस का त्योहार खरीदारी के लिए फेमस है. इस दिन सोना या चांदी खरीदना सबसे शुभ माना जाता है. इसके साथ ही तांबा और पीतल के बर्तन खरीदना चाहिए. झाड़ू खरीदना भी शुभ माना जाता है. धनतेरस पर तेल, प्लास्टिक, काले कपड़े, जूते और कांच के बर्तन नहीं खरीदना चाहिए.
धनतेरस पूजा का सही तरीका क्या है?
सबसे पहले मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, धन्वंतरि और कुबेर की मूर्ति स्थापित करना चाहिए. उत्तर-पूर्व दिशा की तरफ बैठकर पूजा करना शुभ होता है. सबसे पहले दीपक के नीचे चावल रखें और इसके बाद दीपक जलाना चाहिए. इसके बाद एक कलश में शुद्ध जल लेकर भगवान को अर्पित करें और रोली, हल्दी, पान, फल मिष्ठान और कुमकुम लगाना चाहिए.
धनतेरस पर कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?
धनतेरस पर सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद देने वाले मंत्र का जाप करना चाहिए. महालक्ष्मी धन-संपदा मंत्र 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः' का जाप करना चाहिए. इसके अलावा कुबेर धनवृद्धि मंत्र 'ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये नमः॥' का जाप करना चाहिए. इसके साथ ही गणेश सफलता मंत्र 'ॐ गं गणपतये नमः' और लक्ष्मी बीज मंत्र 'ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः॥' का जाप करना चाहिए.
क्या धनतेरस पर दीपदान का कोई विशेष महत्व है?
धनतेरस पर दीपदान के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं. पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि तुम हर दिन हजारों लोगों के प्राण लेते हो, क्या तुम्हें दया नहीं आती. इसपर यमदूत ने कहा कि मृत्युलोक में हेम नाम का एक राजकुमार है. ज्योतिषियों ने बताया कि शादी के 4 दिन बाद उसकी मौत हो जाएगी. मौत से बचने के लिए राजा ने अपने बेटे को गुफा में रखा. लेकिन एक दिन राजा हंस की बेटी घूमते-घूमते उस गुफा में चली गई. इसके बाद हेम ने राजकुमारी के साथ गंधर्व विवाह कर लिया. इसके 4 दिन बाद राजकुमार की मौत हो गई. तभी एक यमदूत ने यमराज ने पूछा कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय बताइए. इसपर यमराज ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति धनतेरस की शाम को मेरे निमित्त दीपदान करेगा तो उसे और उसके परिवार को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा.
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