
भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व है. इनमें आरती एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, और आरती के दौरान कपूर या घी जलाना एक अनिवार्य परंपरा मानी जाती है. आमतौर पर लोग इसे केवल धार्मिक आस्था से जोड़ते हैं, लेकिन इसके पीछे गहरा वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक आधार भी मौजूद है.
कपूर आरती का जरूरी हिस्सा होता है. मान्यता है कि बिना कपूर के आरती अधूरी मानी जाती है. इसकी सुगंध न केवल वातावरण को शुद्ध करती है, बल्कि मानसिक शांति भी देती है.
कपूर जलाने के वैज्ञानिक फायदे क्या है?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो कपूर जलाने से निकलने वाला धुआं बैक्टीरिया और कीटाणुओं को खत्म करता है. यह हवा में मौजूद विषाणुओं को भी खत्म करने की क्षमता रखता है. यही वजह है कि पूजा के समय कपूर जलाने से आसपास का वातावरण शुद्ध होता है और बीमारियों का खतरा घट जाता है.
सुबह-शाम कपूर जलाने से क्या होता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि रोजाना सुबह-शाम कपूर जलाने से घर की हवा शुद्ध होती है और ऑक्सीजन का स्तर भी बेहतर होता है. खासकर प्रदूषित इलाकों में रहने वालों के लिए यह एक प्राकृतिक एयर प्यूरीफायर की तरह काम करता है.
नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है कपूर
वास्तु और ज्योतिष शास्त्र में भी कपूर को नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाला तत्व माना गया है. कहा जाता है कि जहां नियमित रूप से कपूर जलाया जाता है, वहां नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं कर पातीं. यही कारण है कि कई लोग इसे घर के कोनों में या पूजा स्थान के पास रोज़ जलाते हैं. रात को सोने से पहले कपूर जलाना भी एक असरदार उपाय माना गया है. इससे मानसिक तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है.
कपूर का घरेलू और आयुर्वेदिक इस्तेमाल क्या है?
कपूर का इस्तेमाल सिर्फ पूजा तक सीमित नहीं है. इसे बीमारियों के इलाज में भी प्रयोग किया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, कपूर एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है. इसे श्वसन रोग, त्वचा संबंधी समस्याओं और जोड़ों के दर्द में राहत के लिए भी उपयोग में लाया जाता है.
इसके अलावा, कपूर को पीसकर पानी में मिलाकर घर में पोंछा लगाने से चींटी और अन्य कीटों से भी बचाव होता है. यह घरेलू उपाय के रूप में बेहद प्रभावी है.
वास्तु दोष दूर करने में सहायक
अगर आपके घर में रोशनी और हवा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, तो वास्तु के अनुसार वहां कांच के बर्तन में कपूर रखना लाभकारी होता है. इससे कमरे में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता समाप्त होती है.
आरती में घी क्यों जलाते हैं?
आरती में कपूर के साथ-साथ घी भी जलाया जाता है. घी जलाने से वातावरण में एक विशेष प्रकार की सुगंध फैलती है, जो मन को शांति देती है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो घी जलाना हमारे शारीरिक, मानसिक और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है. जब गाय के घी को दीपक में जलाया जाता है तो वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि इससे वातावरण में शुद्ध ऑक्सीजन उत्पन्न होती है. साथ ही घी से दीया जलाना सूर्य देवता का प्रतीक माना जाता है, जो जीवन में ऊर्जा और तेज का संचार करता है. यह घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) को बढ़ाता है.