
गणेश चतुर्थी 2025 का पर्व 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर 2025 तक चलेगा. इस दिन भगवान गणेश की पूजा और उनकी महिमा का विशेष महत्व है.शैलेंद्र पांडेय ने बताया कि गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान गणेश का प्राकट्य हुआ था. गणेश उत्सव के दौरान भगवान गणेश धरती पर निवास करते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
भगवान गणेश की मूर्तियों का महत्व
1. गणेश महोत्सव में भगवान गणेश की अलग-अलग मूर्तियों की पूजा की जाती है. हर मूर्ति का अपना विशेष महत्व होता है.
2. पीले और लाल रंग की मूर्तियां शुभ मानी जाती हैं.
3. नीले रंग की मूर्ति को उच्छिष्ट गणपति कहा जाता है, जो विशेष दशाओं में पूजी जाती हैं.
4. हल्दी से बनी मूर्ति को हरिद्र गणपति कहते हैं, जो विशेष मनोकामनाओं के लिए शुभ होती है.
5. सफेद रंग की मूर्ति ऋण मोचन गणपति कहलाती है, जो ऋणों से मुक्ति दिलाती है.
6. त्रिनेत्रधारी और दस भुजाओं वाले महा गणपति में गणेश जी के सभी स्वरूप समाहित होते हैं.
क्या है पूजा विधि
1. गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की प्रतिमा दोपहर में स्थापित करें.
2. मूर्ति की स्थापना लकड़ी की चौकी पर पीले कपड़े के साथ करें.
3. दिन भर उपवास रखें और फलाहार या जलीय आहार ग्रहण करें.
4. शाम को घी का दीपक जलाएं और गणेश जी को लड्डुओं का भोग लगाएं.
5. यदि संभव न हो तो 11 लड्डू का भोग लगाएं.साथ में धुरवा अर्पित करें.
6. गणेश मंत्रों का जप करें और चंद्रमा को रात में अर्घ्य दें.
चंद्रदर्शन दोष और उसका निवारण
गणेश चतुर्थी पर चंद्रदर्शन से बचने की सलाह दी गई है. यदि चंद्रदर्शन हो जाए तो भगवान कृष्ण की शमंतक मणि की कथा सुनने से दोष का निवारण होता है. इसके बाद प्रसाद का वितरण करें और अन्न व वस्त्र का दान करें.