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Largest Ganesh Temple: यहां विराजे हैं एशिया के सबसे बड़े गणपति! मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर से कई गुना बड़ा है ये मंदिर, जानिए इसका महत्व

पूरे देश में गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल गणेश चतुर्थी की शुरूआत 27 अगस्त से हो रही है. भारत में गणपति के भव्य और बड़े मंदिर हैं. मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर भी काफी बड़ा है लेकिन आकार के मामले में एशिया का सबसे बड़ा गणपति मंदिर कहां है? इस बारे में भी जान लेते हैं.

Largest Ganesh Temple in Size (Photo Credit: Gujarat Tourism) Largest Ganesh Temple in Size (Photo Credit: Gujarat Tourism)
हाइलाइट्स
  • पूरे देश में गणेश उत्सव की धूम

  • भारत में हैं गणपति के भव्य और विशाल मंदिर

पूरे देश में गणेश उत्सव की धूम है. गणेश चतुर्थी 2025 शुरू होने में अब बस 1 दिन बाकी है. गणेश उत्सव 27 अगस्त से शुरू हो रहा है. गणेश उत्सव भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसे ही गणेश चतुर्थी कहा जाता है. यह त्योहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर 10 दिनों तक मनाया जाता है. पूरे देश में बप्पा के भव्य मंदिर हैं लेकिन क्या आपको पता है कि आकार में एशिया के सबसे बड़े गणपति कहां हैं? आइए इस बारे में जानते हैं.

कहां हैं एशिया के सबसे बड़े गणपति?

  • आकार के मामले में एशिया के सबसे बड़े गणपति कहीं और नहीं गुजरात में हैं. गणेश जी का ये मंदिर अहमदाबाद के पास महेमदाबाद में है. ये जगह अहमदाबाद से करीब 25 किमी. दूर है.
  • गुजरात के इस विशाल मंदिर का नाम सिद्धि विनायक के नाम पर है. इस मंदिर का नाम श्री सिद्धि विनायक देवास्थान है.
  • मुंबई का फेमस सिद्धिविनायक मंदिर काफी बड़ा है लेकिन आकार के मामले में ये मंदिर सबसे बड़ा है. ये मंदिर भारत ही नहीं एशिया का सबसे बड़ा मंदिर है.
  • इस मंदिर को मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धि विनायक मंदिर की ज्योति लाकर स्थापित किया गया. इसी वजह से इसका नाम भी सिद्धिविनायक पड़ा.

क्यों है ये मंदिर खास?

  • हाल ही में आकार के मामले में गुजरात के श्री सिद्धि विनायक देवास्थान मंदिर ने रिकॉर्ड बनाया है. इस मंदिर को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है. 
  • वात्रक नदी के किनारे बना इस मंदिर का नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है. इस विशाल मंदिर को देखकर हर कोई दंग रह जाता है.
  • इसे एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अगस्त 2023 में एशिया का सबसे बड़ा गणेश-मुख वाला मंदिर घोषित किया गया.
  • यह मंदिर एक विशाल गणेश-चेहरे की तरह डिज़ाइन हुआ है. इसके निर्माण में ऑस्ट्रेलियाई तकनीकों का उपयोग किया गया है, ताकि इसकी सतह एक प्राकृतिक पत्थर जैसी दिखे.
  • इस गणेश मंदिर के परिसर में पार्किंग, हेलिपैड, फूड कोर्ट, लिफ्ट, रिक्शा और आरामदेह कमरे जैसे आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध हैं.
Ganesha Temple

कितना बड़ा है ये गणेश मंदिर? 

  • महेमदाबाद में बना श्री सिद्धि विनायक देवास्थान 6 लाख वर्ग फीट में फैला हुआ है. ये मंदिर मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धि विनायक मंदिर से काफी बड़ा है.
  • भगवान गणेश की ये मूर्ति जमीन से 56 फीट की ऊंचाई पर बना है. इस मूर्ति की खास बात ये है कि इसमें सिर्फ गणपति का चेहरा है.
  • एशिया के सबसे बड़े गणेश मंदिर में गणपति के चेहरे की लंबाई 121 फुट है. गणेश जी के चेहरे की चौड़ाई 84 फीट और ऊंचाई 71 फीट है.
  • इस मंदिर का निर्माण 2010 में शुरू हुआ था. मंदिर को पूरी तरह से तैयार होने में चार साल का समय लगा था. 2014 में ये मंदिर बनकर तैयार हो गया था.
  • इस मंदिर का शिलान्यास 2011 में हुआ था. गणपति के इस स्वरूप के दर्शन करने के लिए देश और विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
  • गणेश चतुर्थी पर यहां भव्य आयोजन होते हैं, धार्मिक मेला भी लगता है. इस दौरान लाखों संख्या में लोग यहां आते हैं.

क्यों मनाया जाता है गणेश उत्सव?

गणेश उत्सव जिसे गणेश चतुर्थी भी कहते हैं. गणेश उत्सव को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को माता पार्वती ने भगवान गणेश की रचना की थी.

  • कथा के अनुसार, माता पार्वती ने अपने शरीर के उबटन चंदन लेप से गणेशजी को बनाया और स्नान करते समय द्वारपाल बना दिया.
  • भगवान शिव के आने पर जब गणेशजी ने उन्हें रोका तो गुस्से में शिवजी ने उनका सिर काट दिया. इससे पार्वती जी दुखी हो गईं.
  • माता पार्वती के दुख को शांत करने के लिए शिवजी ने गणेश का सिर हाथी के बच्चे के सिर से बदलकर उन्हें जीवनदान दिया. भोलेनाथ ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि उनकी पूजा सबसे पहले होगी. 
  • गणेशजी को विघ्नहर्ता और सिद्धिदाता वाला माना जाता है. किसी भी शुभ कार्य, पूजा, यात्रा, व्यापार और शादी में सबसे पहले गणेशजी की पूजा होती है.
  • गणेश उत्सव के दौरान लोग बड़ी संख्या में जुटते हैं. इस दौरान भजन, कीर्तन, प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं.
  • शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान गणेश धरती पर भक्तों के बीच आते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस दौरान पर की गई पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है.

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