
हनुमान जी के कई नाम हैं जैसे रामभक्त, बजरंगबली, पवन पुत्र, अंजनी पुत्र. सनातन धर्म के अंतर्गत हनुमान जी को भगवान शिव का ही अवतार माना गया है. हनुमान जी को अष्ट चिरंजीवियों में स्थान प्राप्त हैं, इसका अर्थ यह है कि कलयुग में भी वे जीवित हैं, लेकिन कहां हैं यह कोई नहीं जानता.
त्रेतायुग में श्रीराम के साथ और द्वापर युग में महाभारत के दौरान भीम से मिलना, यह दर्शाता है कि हनुमान जी दो युगों तक हमारे बीच रहे हैं. लेकिन ये वे महारथी हैं जो कलयुग में भी अपना स्थान बनाए हुए हैं. हनुमान जी पूजा करने से भक्त के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. यदि किसी को गंभीर बीमारियों से छुटकारा पाना है तो उसे हनुमान बाहुक का पाठ करना चाहिए.ज्योतिषी शैलेंद्र पांडेय के अनुसार, श्रद्धा और विश्वासपूर्वक अगर हनुमान बाहुक का पाठ किया जाए तो इससे निश्चित रूप से लाभ होता है.
तुलसीदास जी ने की है हनुमान बाहुक की रचना
हनुमान बाहुक तुलसीदास जी द्वारा रचित एक स्तुति है, जो स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में अचूक मानी जाती है. तुलसीदास जी को एक गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया था, तब उन्होंने पवनपुत्र हनुमान के निमित्त हनुमान बाहुक पाठ की रचना की थी. इस पाठ को बेहद प्रभावकारी माना गया है. जिस व्यक्ति को कोई शारीरिक पीड़ा या कोई दर्द रहता है तो उन्हें अवश्य ही हनुमान बाहुक का पाठ करना चाहिए. हनुमान बाहुक के 44 चरणों का पाठ करने वाले इंसान के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
शरीर की समस्त पीड़ाओं से मिल जाएगी मुक्ति
ऐसा माना जाता है कि जिन्हें गठिया, वात, सिरदर्द, कंठ रोग, जोड़ों का दर्द आदि तरह के दर्द से परेशान हैं, तो जल का एक पात्र सामने रखकर हनुमान बाहुक का 26 या 21 दिनों तक मुहूर्त देखकर पाठ करें. प्रतिदिन उस जल को पीकर दूसरे दिन दूसरा जल रखें. हनुमानजी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से आपको मुक्ति मिल जाएगी. इसके साथ ही यदि जीवन में रुके हुए काम हैं या कोई इच्छा पूर्ण नहीं हो रही, तब भी हनुमान बाहुक का पाठ करना लाभदायक सिद्ध होता है.
हनुमान बाहुक का पाठ कैसे करें
हनुमान बाहुक का पाठ करने के लिए हनुमान जी और प्रभु श्रीराम की मूर्ति स्थापित करें. घी का दीपक जलाएं और जल से भरा पात्र रखें. पहले भगवान राम की स्तुति करें, फिर हनुमान जी का ध्यान करें. पाठ के बाद जल रोगी को पीने दें और शरीर पर लगाएं. यह प्रक्रिया सुबह या शाम को की जा सकती है.