scorecardresearch

Haridwar Ardh Kumbh 2027: हरिद्वार में अर्धकुंभ को लेकर तैयारी में जुटा प्रशासन, मेला क्षेत्र का किया गया निरीक्षण, जानिए कब है ये दिव्य कुंभ?

हरिद्वार में होने वाले अर्धकुंभ को लेकर उत्तराखंड सरकार और प्रशासन तैयारियों में जुट गया है. धामी सरकार अर्धकुंभ को लेकर तैयारी कर रही है. साल 2027 में हरिद्वार में अर्धकुंभ का आयोजन होना है. अर्धकुंभ 6 साल में एक बार होता है. अर्धकुंभ प्रयागराज और हरिद्वार में ही होता है. आखिरी अर्धकुंभ 2019 में प्रयागराज में हुआ था. अब 2027 में होने वाले अर्धकुंभ को लेकर हरिद्वार में तैयारी चल रही है.

Ardh Kumbh 2027 (Photo Credit: Getty) Ardh Kumbh 2027 (Photo Credit: Getty)
हाइलाइट्स
  • हर 6 साल में होता है अर्धकुंभ

  • हरिद्वार में 2027 में होगा अर्धकुंभ का आयोजन

  • अर्धकुंभ को लेकर तैयारी में जुटा प्रशासन

उत्तराखंड सरकार और प्रशासन अर्धकुंभ की तैयारियों में जुट गई है. 2027 में होने वाले अर्धकुंभ की तैयारी जोर-शोर से की जारी है. उत्तराखंड सरकार अर्ध कुंभ को पूर्ण कुंभ के तरह भव्य और दिव्य रूप से करने जा रहे हैं. इसकी तैयारियों को लेकर उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने शुक्रवार को हरिद्वार पहुंचकर कुंभ मेला क्षेत्र के कोर एरिया का भ्रमण किया. मुख्य सचिव ने जाना कि कुम्भ 2027 को लेकर क्या कार्य होने हैं और क्या परियोजनाएं तैयार की जा रही है? 

हरिद्वार भ्रमण के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने कहा कि आज कुंभ मेले के कोर क्षेत्र का भ्रमण किया गया. कुंभ को लेकर स्थायी प्रकृति के जिन कार्यों को पूरा होने में ज्यादा समय लगना है, उनकी मंजूरी पहले दी जा रही है. बस अड्डा और जाह्नवी मार्केट की शिफ्टिंग पर मुख्य सचिव ने कहा कि शहर के निवासियों के हित में जो होगा वहीं कार्य किया जाएगा.

भव्य होगा अर्धकुंभ

इस बारे में मुख्य सचिव आनंद वर्धन का कहना है कि आज हमने मेला अधिकारी, डीएम, एसएसपी और अन्य अधिकारियों के साथ कुंभ मेला क्षेत्र के कोर एरिया का भ्रमण किया है. वहां पर क्या-क्या कार्य होने हैं, किस तरीके से होने है और क्या परियोजनाएं तैयार की जा रही हैं? उसके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी ली गई. मुख्य सचिव ने बताया कि अभी दोपहर में अधिकारियों के साथ बैठक भी होगी. उसमें और ज्यादा विचार विमर्श होगा.

सम्बंधित ख़बरें

दिव्य भव्य कुम्भ और पेशवाई निकलने को लेकर मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने कहा कि जो भी साधु संत और अखाड़े से संबंधित गतिविधियां है. जो भी शाही स्नान या पेशवाई होती है, वह उन अखाड़े और अखाड़ा परिषद और साधु संतों के निर्णय के अनुसार ही होगा. जैसा वह निर्णय लेंगे सरकार वैसा ही करेगी. उन्होंने कहा कि बस स्टैंड को लेकर जो भी हरिद्वार शहर की आवश्यकता होगी. उससे संबंधित व्यक्ति और जो समूह होगा, उनके साथ विस्तृत विचार विरोध करने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा.

अर्धकुंभ की भव्य तैयारी

अर्धकुंभ को लेकर मुख्य सचिव ने कहा, अभी जो कार्य स्वीकृत होने शुरू हुए हैं, वो लंबे समय में पूरे होने वाले काम हैं. इसमें समय लगने की संभावना है. जिसमें 8 से 10 महीना या 1 साल लगता है, उनकी स्वीकृति दी जा रही है. इसके अलावा जो अस्थाई काम है, समय आने पर उसकी स्वीकृति दी जाएगी. जैसी आवश्यकता होगी, सरकार उतनी धनराशि उन कार्यों के लिए देगी. हरिद्वार शहर में कुंभ के लिए और यहां होने वाले लोगों के लिए जो आवश्यकता होगी, वैसे ही कार्य किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि तीर्थ यात्रियों के लिए या यहां के निवासियों के लिए जो भी उपयोगी होगा, उनके हित में वह कार्य किए जाएंगे. 

मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने बताया, हम सभी की यही कोशिश है कि जो 2027 का कुंभ है, वह दिव्य और भव्य हो. हरिद्वार कॉरिडोर कोई इस तरीके का कोई सिंगल कंपोनेंट नहीं है, उसमें कई कंपोनेंट हैं. इस पर स्टडी हो रही है, उसमें डीपीआर तैयारी हो रही है. कुछ एस्टीमेट बने हैं उसको हम कुंभ कार्यों से लिंक कर रहे हैं जो कुंभ के लिए आवश्यक है. कोशिश करेंगे कि उनको पहले करवा लिया जाए. मुख्य सचिव ने कहा कि जो काम कुंभ के लिए आवश्यक है उसको हम पहले टेकअप करेंगे. वह हमारे बहुत आवश्यक कार्य जैसे चंडी देवी और जो इस तरह के अति महत्वपूर्ण कार्य है, उसको प्रायोरिटी पर टेक अप किया जाएगा.

Haridwar

अर्धकुंभ क्या होता है?

अर्धकुंभ भारत का एक प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक पर्व है जो कुंभ मेले का ही एक रूप है. "अर्धकुंभ" का अर्थ है आधा कुंभ, यानी यह कुंभ मेले के बारह साल के अंतराल में 6 साल बाद होता है. यह मेला भारत के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में से सिर्फ हरिद्वार और प्रयागराज में ही आयोजित किया जाता है.

  • अर्धकुंभ का महत्व गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदियों से जुड़ा हुआ है. इसे हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है.
  • अर्धकुंभ वह मेला है जो कुंभ मेले के 6 साल बाद आयोजित किया जाता है. इसे महाकुंभ और पूर्ण कुंभ के बीच का उत्सव माना जाता है.
  • अर्धकुंभ सिर्फ दो स्थानों पर होता है, प्रयागराज और हरिद्वार. उज्जैन और नासिक में सिर्फ पूर्ण कुंभ या सिंहस्थ कुंभ होता है. इन जगहों पर अर्धकुंभ नहीं होता है.
  • अर्धकुंभ हर 6 साल में होता है. वहीं पूर्ण कुंभ मेले का आयोजन 12 साल में होता है. महाकुंभ सबसे बड़ा आयोजन है, जो 12 कुंभ चक्र में एक बार होता है.
  • आखिरी बार 2019 में प्रयागराज में अर्धकुंभ हुआ था. अब साल 2025 में हरिद्वार में अर्धकुंभ आयोजित होगा.
  • समुद्र मंथन की कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश (कुंभ) के लिए युद्ध हुआ था. उस समय गंगा, यमुना, सरस्वती और क्षीरसागर में अमृत की बूंदें गिरी थीं.
  • अर्धकुंभ के दौरान किए गए स्नान, दान और जप-तप से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है. इन दिनों लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।

हिंदू धर्म में अर्धकुंभ को आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का अवसर माना जाता है. यह सिर्फ धार्मिक आयोजन ही नहीं है बल्कि भारत की संस्कृति, परंपरा और सामाजिक एकता का प्रतीक है. अर्धकुंभ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु, साधु-संत, अखाड़े और तीर्थयात्री शामिल होते हैं. अर्धकुंभ आध्यात्मिक ऊर्जा का विशाल संगम है. इस अर्धकुंभ में आस्था, संस्कृति और सनातन परंपरा एक साथ दिखाई देती है. इस मौके पर पवित्र नदियों में स्नान करना और दान-पुण्य करना जीवन को पवित्र और धन्य बनाने वाला माना गया है.

(मुदित कुमार अग्रवाल की रिपोर्ट)