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अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाता है हरतालिका तीज का व्रत? पढ़िए इस व्रत से जुड़े हर सवाल का जवाब

हरतालिका तीज इस साल 26 अगस्त, मंगलवार को मनाई जा रही है. यह पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है. मान्यता है कि इस दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था.

Hartalika Teej 2025 Hartalika Teej 2025
हाइलाइट्स
  • जानिए हरतालिका तीज की पूजा विधि?

  • क्या है हरतालिका तीज की पौराणिक मान्यता?

  • कब करें व्रत की शुरुआत?

सोमवार को नहाय खाय के साथ हरितालिका तीज की शुरुआत हो गई है. त्योहार कल यानि 26 अगस्त को मनाया जाएगा. महिलाएं भगवान की पूजा के साथ व्रत का आरंभ करेंगी और कल महादेव और मां पार्वती की विधि विधान से पूजा-अर्चना करेंगी और अखंड सौभाग्य और सुख समृद्धि की कामना करेंगी. चलिए जानते हैं क्यों मनाई जाती है हरतालिका तीज क्या रहेगा शुभ मुहूर्त और इसे लेकर पौराणिक मान्यता क्या है?

हरतालिका तीज कब और क्यों मनाई जाती है?
हरतालिका तीज इस साल 26 अगस्त, मंगलवार को मनाई जा रही है. यह पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है. मान्यता है कि इस दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. तभी से यह व्रत अखंड सौभाग्य और सुहाग की रक्षा के लिए किया जाता है.

क्या इस व्रत की शुरुआत एक दिन पहले होती है?
हरतालिका तीज का पर्व दो दिन का होता है. 25 अगस्त को नहाय-खाय की परंपरा निभाई जाती है. महिलाएं स्नान कर शुद्ध भोजन बनाती हैं, भगवान को भोग लगाकर खुद भोजन करती हैं. इसके साथ ही व्रत की शुरुआत हो जाती है.

व्रत के दिन महिलाएं क्या करती हैं?
26 अगस्त को महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं यानी पूरे दिन ना तो अन्न ग्रहण करती हैं, ना जल. वे सोलह श्रृंगार करके मां पार्वती और भगवान शिव की विधिविधान से पूजा करती हैं. पूजा में मिट्टी की मूर्तियां, सुहाग की सामग्री और व्रत कथा का विशेष महत्व होता है.

पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा?
इस बार हरतालिका तीज की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त प्रातः 5:56 से 8:31 बजे तक रहेगा. इस दौरान पूजा करने से विशेष फल मिलता है.

इस व्रत की पौराणिक मान्यता क्या है?
पौराणिक कथा के अनुसार, जब मां पार्वती को पता चला कि उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया गया है, तो वे अपनी सखी के साथ घने जंगल में चली गईं और भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप करने लगीं. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया. तभी से इस व्रत की परंपरा शुरू हुई.

क्या कुंवारी लड़कियां भी यह व्रत कर सकती हैं?
हां, इस व्रत को विवाह योग्य कन्याएं भी करती हैं ताकि उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिले. कहा जाता है कि मां पार्वती की तरह अगर यह व्रत श्रद्धा से किया जाए, तो भगवान शिव जैसे वर की प्राप्ति होती है.

व्रत के दौरान क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
व्रत के दिन पूरी शुद्धता और संयम का पालन जरूरी है. महिलाएं गुस्सा न करें, विवाद से बचें और व्रत कथा जरूर सुनें. पूजा के बाद भजन-कीर्तन करना शुभ माना जाता है.

इस पर्व का महत्व किन क्षेत्रों में ज्यादा है?
हरतालिका तीज का व्रत खासतौर पर उत्तर भारत, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है. यहां की महिलाएं इसे अपना सबसे खास और कठिन व्रत मानती हैं. हरतालिका तीज सिर्फ एक व्रत नहीं, श्रद्धा, आस्था और रिश्तों की मजबूती का प्रतीक है. मां पार्वती जैसी निष्ठा और प्रेम के साथ किया गया यह व्रत, महिलाओं को न सिर्फ अखंड सौभाग्य देता है, बल्कि परिवार में सुख-शांति भी लाता है.