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जोधपुर का इकलौता संतोषी माता का मंदिर जहां खुद प्रकट हुई मां...विदेश से भी दर्शन के लिए आते हैं भक्त

हर शुक्रवार को मंदिर में मेले सा माहौल होता है. माता को प्रसादी के रूप में सिर्फ गुड़ और चने का ही भोग लगता है. मंदिर के ट्रस्टी जगदीश सांखला ने बताया कि इस मंदिर की मान्यता है जिनको मां बुलाती है वही यहां पर दर्शन करने आते हैं.

Santoshi Mata Mandir, Rajasthan Santoshi Mata Mandir, Rajasthan
हाइलाइट्स
  • खुद प्रकट हुईं मां

  • विदेश से भी दर्शन के लिए आते हैं भक्त

राजस्थान के जोधपुर में संतोषी माता का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर संतोषी माता प्रकट हुई थी. हर शुक्रवार को हजारों की तादात में लोग यहां पहुंचते हैं. यहां तक कि विदेशों से भी लोग माता के दर्शन करने यहां आते हैं. जोधपुर के मंडोर रोड पर कृषि मंडी के पीछे प्राकृतिक पहाड़ियों के बीच संतोषी माता का मंदिर पूरे देश में शक्ति पीठ के रूप में माना जाता है. देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर संतोषी माता की मूर्ति प्रकट हुई थी. चट्टानों के बीच प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह की चट्टानों में शेषनाग की तरह माता की मूर्ति पर छत्र छाया करती नजर आती है. इस मंदिर में अखंड ज्योत हवन एवं कीर्तन का आयोजन हर समय होता है. 

खुद प्रकट हुईं मां

हर शुक्रवार को मंदिर में मेले सा माहौल होता है. माता को प्रसादी के रूप में सिर्फ गुड़ और चने का ही भोग लगता है. मंदिर के ट्रस्टी जगदीश सांखला ने बताया कि इस मंदिर की मान्यता है जिनको मां बुलाती है वही यहां पर दर्शन करने आते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है. सांखला ने बताया कि यह मंदिर सदियों पुराना है. संतोषी मां का व्रत करने से मनवांछित फल मिलता है. शास्त्रों में गणेश पुत्री का रूप है यह मां संतोषी योग माया है. यहां माता की मूर्ति नहीं है बल्कि पहाड़ों में से उभरी हुई प्रतिमा है. यहां पर चांदपोल के रहने वाले भगत उदाराम सांखला अपने गुरु के पास गए तब गुरु ने पूछा कि कहां जा रहे हो. उन्होंने कहा, मैं लालसागर जा रहा हूं. उस समय पहाड़ी के ऊपर से आने जाने का रास्ता भी नहीं था.

कैसे पड़ा संतोषी नाम?
अष्टमी के दिन जब माता के मंदिर हवन होना था, तब भगत उदाराम जी रास्ते में ही से ही वापस लौट आए. फिर संतोषी माता ने आकाशवाणी की और जगदीश ओझा को माता ने कहा कि मेरे भगत का अष्टमी का हवन पूरा होना है जगदीश रात को लालटेन लेकर संतोषी माता मंदिर पहुंचे. तब रात को 2:00 बजे हवन हुआ. हवन होने के बाद सुबह 5:00 बजे भगत उदाराम पूजा करने लगे इस दौरान माता ने साक्षात दर्शन दिए तब संतोषी माता ने भगत उदाराम से पूछा तुम क्या चाहते हो..? तब भगत उदाराम ने कहा मां मुझे कुछ देना है तो इस जगत का भला करो, फिर भगत उदाराम ने मां से पूछा कि मैं आपको किस नाम से पुकारू तब मैंने बोला कि मेरा भगत इतना संतोषी है तो मुझे संतोषी के नाम से पुकारो. इतना कहने के बाद भगत ने बताया कि मां ने मुझे 100 हाथी के बराबर शक्ति दे दी। इस तरह इस मंदिर की मान्यता है कि जिनको मां बुलाती है वही दर्शन करने आते हैं. 

(जोधपुर से अशोक शर्मा की रिपोर्ट)