scorecardresearch

Indira Ekadashi 2025: 16 या 17 सितंबर... कब है इंदिरा एकादशी, जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और भगवान विष्णु की पूजा विधि

Indira Ekadashi:  इंदिरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस बार इंदिरा एकादशी का व्रत 17 सितंबर को रखा जाएगा. इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से पितरों की आत्मा को मोक्ष मिलता है. व्रत रखने वाले के जीवन में सुख-समृद्धि आती है. 

Lord Vishnu Lord Vishnu
हाइलाइट्स
  • 17 सितंबर को रखा जाएगा इंदिरा एकादशी का व्रत 

  • भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की करें पूजा

हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. यह तिथि पितृपक्ष में आती है. भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत में इंदिरा एकादशी के महत्व का उल्लेख किया है.

ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इस दिन व्रत रखने से पितरों की आत्मा को मोक्ष मिलता है. इंदिरा एकादशी पर भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि यदि आप पितृपक्ष में किसी कारण से पूर्वजों का श्राद्ध नहीं कर पाए हैं तो इस दिन व्रत करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है.  इतना ही नहीं इंदिरा एकादशी व्रत को करने से भक्त को सभी पापों से छुटकारा मिलता है. जीवन में सुख-समृद्धि आती है. 

कब है इंदिरा एकादशी 
अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 16 सितंबर 2025 को देर रात 12:21 बजे होगी और इसका समापन अगले दिन 17 सितंबर को रात 11:40 बजे होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इंदिरा एकादशी 17 सितंबर को मनाई जाएगी. इस दिन परिघ योग, शिव योग और शिववास का संयोग बन रहा है. जिसके चलते इस दिन कभी भी श्रीहरि की उपासना की जा सकती है. इंदिरा एकादशी व्रत पारण करने का शुभ मुहूर्त 18 सितंबर को सुबह 06 बजकर 07 मिनट से लेकर 08 बजकर 34 मिनट है. धार्मिक ग्रंथों में इंदिरा एकादशी के दिन दान-पूण्य करने का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन अन्न, भोजन, फल आदि दान करना चाहिए. 

सम्बंधित ख़बरें

इंदिरा एकादशी के दिन पितरों के तर्पण का समय
1. इंदिरा एकादशी के दिन पितरों के तर्पण के 3 मुहूर्त कुतुप मुहूर्त, रौहिण और अपराह्न काल रहेंगे.
2. कुतुप मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा.
3. रौहिण मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 40 मिनट से दोपहर 1 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.
4. अपराह्न काल दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 56 मिनट तक रहेगा.

इंदिरा एकादशी पूजा विधि 
1. प्रातःकाल स्नान करने के बाद सूर्य भगवान को जल अर्पित करें. 
2. इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें.
3. शालिग्राम रूप की पूजा करें. 
4. भगवान विष्णु को पीले फूल, फल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. 
5. पूजा के दौरान भगवान का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जप करें.
6. इंदिरा एकादशी के दिन व्रत कथा का पाठ करें और तुलसी के पास देसी घी का दीपक जलाएं.
7. पूजा के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें.
8. द्वादशी को भगवान पद्मनाभ की पूजा कर ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा दें. फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें.

पितरों के लिए इस दिन क्या विशेष प्रयोग करें 
1. पितृ पक्ष की एकादशी के दिन महाप्रयोग करके पितरों के लिए शांति की कामना करें.
2. एकादशी के दिन उड़द की दाल, उड़द के बड़े और पूरियां बनाएं, इस दिन चावल का प्रयोग न करें.
3. एक उपला जला लें और उस पर एक पूड़ी में रखकर उड़द की दाल और उड़द के बड़े की आहुति दें.
4. एक जल से भरा पात्र भी रखें, फिर भगवद्गीता का पाठ करें.
5. निर्धनों को भोजन कराएं और उनका आशीर्वाद लें. 

इंदिरा एकादशी व्रत की सावधानी
1.
इंदिरा एकादशी पर सूर्य उदय से पहले उठने का प्रयास करें.
2. घर में तामसिक भोजन बिल्कुल भी न बनाएं.
3. एकादशी की पूजा पाठ में साफ-सुथरे कपड़ों का प्रयोग करें, काले नीले वस्त्र न पहनें.
4. एकादशी के व्रत विधान में परिवार में शांतिपूर्वक माहौल रखें.
5. सभी प्रकार की पूजा पाठ की सामग्री शुद्ध और साफ ही प्रयोग में लाएं.
6. पूजा में पीले फल और फूल जरूर प्रयोग करें.