
राजस्थान की राजधानी जयपुर न केवल अपनी स्थापत्य कला, विरासत और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां मनाए जाने वाले तीज महोत्सव ने भी इसे वैश्विक स्तर पर एक विशेष पहचान दिलाई है. हाल ही में विश्व के शीर्ष 10 शहरों में जयपुर को पाँचवां स्थान मिला है, और इस गौरव को और भव्यता मिली जब सावन के पावन अवसर पर तीज माता की शाही सवारी निकाली गई. यह पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि जयपुर की आत्मा में रचा-बसा वह उत्सव है, जो लोक संस्कृति, स्त्री शक्ति, परंपरा और राजसी गौरव का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है. हर साल तीज महोत्सव के दौरान शहर रंग-बिरंगी सजावटों, पारंपरिक परिधानों और लोक संगीत से ऐसा सज उठता है मानो पूरा जयपुर किसी सांस्कृतिक उत्सव का विशाल मंच बन गया हो. इस बार की तीज सवारी कई मायनों में ऐतिहासिक रही. पहली बार छोटी चौपड़ पर तीज माता की भव्य महाआरती, 250 से अधिक लोक कलाकारों की भागीदारी, महिला-केंद्रित सांस्कृतिक मेला और राज्यभर में लाइव प्रसारण ने इस आयोजन को और भी भव्य, व्यापक और अविस्मरणीय बना दिया.
तीज माता की शाही सवारी-
जयपुर में तीज माता की शाही सवारी एक ऐतिहासिक और धार्मिक परंपरा है, जो पिछले 298 वर्षों से निकाली जा रही है। इस वर्ष की शोभायात्रा में खास बात यह रही कि पहली बार छोटी चौपड़ पर तीज माता की महाआरती का आयोजन हुआ, जिसने इस उत्सव को और भी श्रद्धा से परिपूर्ण बना दिया. शोभायात्रा की शुरुआत परंपरागत रूप से जयपुर सिटी पैलेस के जनानी ड्योढ़ी से हुई, जहाँ तीज माता की विधिवत पूजा-अर्चना की गई. इसके पश्चात शोभायात्रा त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़, बड़ी चौपड़ और गणगौरी बाजार होते हुए पौंड्रिक उद्यान (तालकटोरा) की ओर बढ़ी. सवारी में शाही बग्घी, सजे हुए ऊँट, हाथी, बैलगाड़ी, घोड़े, शहनाई, नगाड़ा और विभिन्न बैंड शामिल रहे, जिन्होंने पूरे शहर को राजसी वातावरण से भर दिया.
भव्य शोभायात्रा-
इस बार की शोभायात्रा में लोक कलाकारों की संख्या बढ़ाकर 250 कर दी गई, जो राजस्थान के अलग-अलग अंचलों से आए थे. उन्होंने कालबेलिया, कच्छी घोड़ी, घूमर, गैर और बहरूपिया जैसी पारंपरिक लोक प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. इस बार खास व्यवस्था के तहत पुलिस, जेल और आरएसी के बैंड को भी शामिल किया गया, साथ ही सवाई मान गार्ड का शाही बैंड भी समारोह में सम्मिलित रहा, जिसकी व्यवस्था जयपुर सिटी पैलेस प्रशासन द्वारा की गई थी. शोभायात्रा के दौरान सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए, हर प्रवेश द्वार और मार्ग पर सुरक्षा जांच की पुख्ता व्यवस्था की गई थी.
200 से अधिक LED स्क्रीन पर महोत्सव-
तीज महोत्सव को अधिक व्यापक बनाने के लिए इस बार सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (DOIT) द्वारा पूरे आयोजन का सीधा प्रसारण राज्यभर में किया गया. जयपुर शहर में 200 से अधिक LED स्क्रीन लगाकर सवारी के हर दृश्य को आमजन तक पहुँचाया गया ताकि वे जो व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हो सके, वे भी इस भव्य आयोजन के साक्षी बन सकें. इसके अलावा पर्यटन विभाग द्वारा सोशल मीडिया और विभागीय वेबसाइटों के माध्यम से आयोजन का व्यापक प्रचार किया गया, जिससे देश-विदेश के पर्यटकों में इस उत्सव को लेकर भारी उत्साह देखने को मिला.
तीज का विशेष महत्व-
राजस्थान में तीज का विशेष महत्व है क्योंकि यहाँ यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि लोक जीवन, परंपराओं और स्त्रीत्व के उत्सव के रूप में देखा जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है, और सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए इस दिन व्रत रखती हैं. वे पारंपरिक गीत गाकर, सखियों के साथ झूले झूलकर और श्रृंगार करके उत्सव को जीवंत बनाती हैं। तीज न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह महिलाओं की सामाजिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक सहभागिता का भी प्रतीक बन गया है.
जयपुर की तीज सवारी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व जितना है, उतना ही यह राजस्थान की गौरवशाली परंपराओं और लोक जीवन की जीवंतता को भी दर्शाता है. यह उत्सव महिलाओं की आस्था, उनकी सामाजिक भागीदारी और पारंपरिक मूल्यों का सम्मान है. तीज की पूजा में महिलाएं व्रत रखती हैं, झूले पर झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और हरियाली के इस उत्सव में पारंपरिक वेशभूषा पहनकर प्रकृति और देवी पार्वती का स्वागत करती हैं. जयपुर की सड़कों पर जब शहनाई की मधुर ध्वनि के साथ पारंपरिक नर्तक नाचते हैं, बग्घियों और बैलगाड़ियों पर तीज माता की प्रतिमा भ्रमण करती है और श्रद्धालु फूल बरसाते हैं, तब यह महोत्सव मात्र आयोजन नहीं रह जाता, यह राजस्थान की आत्मा बन जाता है.
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