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Jhansi: लहचूरा घाट पर देवी मां के मंदिर के पीछे 200 फीट ऊंची शिला की रहस्यमयी कहानी

बुंदेलखंड के झांसी में दुर्गा मां का एक अनोखा मंदिर है. इस मंदिर के पीछे 200 फीट ऊंची शिला है. इस शिला पर गांव का सनकू नाम का एक व्यक्ति चढ़ सकता है. सनकू इस शिला पर झंडे चढ़ाता है. उसके अलावा कोई भी दूसरा इस शिला पर नहीं चढ़ पाता है.

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यूं तो बुन्देलखंड में कई धार्मिक स्थल हैं. जिनकी अलग-अलग कहानी है. इन्हीं में एक धार्मिक स्थल झांसी के लहचूरा घाट के पास बना दुर्गा मां का मंदिर है, जहां मंदिर के पीछे लगभग 200 फीट ऊंची शिला है. इसी शिला के बीच में देवी मां की मूर्ति भी स्थापित है. जिसकी एक अलग कहानी है. लोगों का दावा है कि इस शिला पर गांव का सनकू नाम का व्यक्ति ही केवल शारदीय नवरात्रि के पांचवीं से लेकर आठवीं तिथि के बीच चढ़ पाता है. इसके अलावा इस शिला पर कोई नहीं चढ़ पाता है. वह शिला पर चढ़कर धार्मिक झंडा चढ़ाता है और फिर असानी से नीचे उतर आता है. लोगों का दावा है कि जब कभी मंदिर के किनारे से निकले वाली नदी में कोई डूबता है तो वही शख्स उसे निकल पाता है. इसके अलावा कोई और नहीं निकाल पाता है. दावा यह भी किया जाता है कि इस मंदिर में आने वाले लोग यदि सच्चे मन से प्रार्थना करें तो उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है.

मंदिर के पीछे की शिला का रहस्य-
झांसी मुख्यालय से तकरीबन 80 किलोमीटर धसान नदी किनारे बसा घाट लहचूरा गांव है. गांव से लगा हुआ दुर्गा मां का मंदिर है. मंदिर के पीछे लगभग 200 फीट ऊंची पत्थर की शिला है. इस शिला से होते हुए धसान नदी बहती है. लोगों का दावा है कि यहां दूर-दूर से भक्त अपनी मुराद लेकर आते हैं और सच्चे मन से जो भी मांगता है, उसकी मुराद अवश्य पूरी होती है. लोगों का ये भी दावा है कि मंदिर के पीछे नजर आने वाले पत्थर की इस शिला की चोटी पर जो झंडा लहराता है, उसे गांव का ही एक युवक शारदीय नवरात्रि की पांचवीं से लेकर अष्ठमी के दिन के बीच चढ़कर चढ़ाता है. शिला की चोटी पर चढ़ने के लिए वह किसी रस्सी की मदद नहीं लेता, बल्कि यूं ही चढ़ जाता है. इसके अलावा वह कभी इस शिला पर नहीं चढ़ पाता है. इतना ही नहीं, इस युवक के अलावा कोई अन्य व्यक्ति भी शिला की चोटी पर नहीं चढ़ पाता है. वहीं, एक और दावा किया जाता है कि जब कभी कोई व्यक्ति धसान नदी में डूब जाता है तो सनकू ही उसे नदी से बाहर निकाल पाता है.

क्या है शिला पर चढ़ने वाली फैमिली की कहानी-
स्थानीय लोगों का कहना है कि लोग बताते हैं कि यहां आने से उनकी मुराद पूरी होती है. मुराद पूरी होने पर वह मंदिर में दान भी करते हैं. बुजुर्गों से उन्होंने सुना है कि यह मंदिर लगभग 200 सालों से इसी प्रकार है. अभी जो मंदिर का जीर्णोद्वार हुआ है, वह क्षेत्रवासियों की मदद से हुआ. इससे पहले देवी मां की मूर्ति गुफा के अंदर थी. मंदिर के पीछे जो शिला है, उसके बारे में उनके बुजुर्ग बताते हैं कि यह 100 साल पहले और अधिक ऊंची थी, लेकिन धीरे-धीरे कुछ पत्थर टूट गए. यहां रहने वाले सनकू नाम का व्यक्ति इस शिला के ऊपर चढ़कर झंडा चढ़ाता है. इससे पहले उसका पिता इस शिला पर झंडा चढ़ाता था. उसके परिवार के सदस्य को ही इस शिला पर चढ़ने का सौभाग्य प्राप्त है. शिला पर चढ़ने से पहले उसे सपना आता है और फिर वह नदी में नहाता है, इसके बाद वह शिला पर चढ़कर झंडा चढ़ाता है. वहीं, उन्होंने दावा किया है कि यहां बहने वाली नदी में यदि कोई डूब जाता है तो सनकू ही उसे नदी से खोजकर ला पाता है, दूसरा कोई नहीं.

(प्रमोद कुमार गौतम की रिपोर्ट)

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