
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में विंध्याचल स्थित प्रसिद्ध माँ विंध्यवासिनी मंदिर में हर वर्ष लाखों की संख्या भक्त माँ विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन के लिए आते हैं. माँ के प्रति आस्थावान भक्त मंदिर को लेकर कुछ न कुछ दान करते रहते हैं. ऐसे ही एक भक्त ने 51 वर्षों तक हर रोज 56 भोग चढ़ाने का संकल्प लिया है. नवरात्र के साथ ही यह भोग मंदिर में प्रसाद के रूप में चढ़ने लगा है.
51 साल तक रोजाना 56 भोग-
लखनऊ के शेरवुड कॉलेज के चेयरमैन के.बी. लाल श्रीवास्तव ने माँ विंध्यवासिनी के चरणों में विशेष संकल्प लिया है. उन्होंने यह घोषणा की है कि आगामी 51 वर्षों तक रोजाना मां को 56 भोग अर्पित किया जाएगा.
हम रहे या ना रहें, यह व्यवस्था चलेगी- श्रीवास्तव
केबी लाल श्रीवास्तव का कहना है कि मेरे पास जो भी है. वह सब माँ विंध्यवासिनी का दिया हुआ है. हमने इस लिए एक संकल्प लिया है कि आगामी 51 वर्ष तक प्रति दिन मंदिर में 56 भोग चढ़ाया जाएगा. इसके लिए हमने व्यवस्था भी कर दी है. हम रहे या नहीं रहे, यह व्यवस्था करके जाएंगे. हमने हमारे पंडा चंदन गोस्वामी को बोल दिया है. 56 भोग के लिए भी व्यवस्था कर दिया है.
मां विंध्यवासिनी धाम-
विंध्याचल की कहानी देवी विंध्यवासिनी से जुड़ा है. इसको 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. इनकी कथा भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़ी है. जब मथुरा के कारागार में देवी के गर्भ से अष्टम पुत्र के तौर पर श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो उसी समय गोकुल में यशोदा मैया के घर पुत्री का जन्म हुआ. वसुदेव कृष्ण को लेकर कारागार से गोकुल पहुंचे और उसकी रात यशोदा की पुत्री को लेकर कारागार पहुंचे. जब कंस ने कन्या को पत्थर पर पटककर मारने की कोशिश की तो कन्या चमत्कारिक रूप से देवी दुर्गा के दिव्य रूप में बदल गईं और कंस के चंगुल से छुट गई. इसके बाद देवी दुर्गा विंध्य पर्वत पर विंध्यवासिनी के तौर पर स्थापित हुईं. जिनको कृष्ण की बहन योगमाया भी कहा जाता है.
(सुरेश कुमार सिंह की रिपोर्ट)
ये भी पढ़ें: