
पांच सालों के बाद एक बार फिर से कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) शुरू होने जा रही है. इस बार कैलाश मानसरोवर यात्रा 30 जून से शुरू होकर 25 अगस्त 2025 तक चलेगी. उत्तराखंड और सिक्किम के रास्ते कुल 15 जत्थे कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाएंगे. इस यात्रा में कुल 250 श्रद्धालु शामिल होंगे. आपको मालूम हो कि कैलाश मानसरोवर यात्रा 2020 में कोविड-19 महामारी और भारत-चीन सीमा पर उत्पन्न तनाव के कारण रोक दी गई थी.
कौन जा सकता है कैलाश मानसरोवर यात्रा पर
1. कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने के लिए भारतीय नागरिक होना चाहिए.
2. कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए भारतीय पासपोर्ट होने चाहिए.
3. पासपोर्ट की वैलिडिटी कम से कम 6 महीने होनी चाहिए.
4. कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले यात्री का बॉडी मास इंडेक्स 25 या उससे कम होना चाहिए.
5. कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने के लिए यात्री को शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए.
6. कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है.
इन मार्गों से शुरू होगी यात्रा
कैलाश मानसरोवर की यात्रा दो मार्गों उत्तराखंड और सिक्किम से होकर पूरी की जाएगी. उत्तराखंड से यात्रा शुरू करने वाले श्रद्धालु लिपुलेख दर्रे से रवाना किए जाएंगे. यहां से कैलाश मानसरोवर की दूरी लगभग 5000 किलोमीटर है. सिक्किम से यात्रा की शुरुआत करने वाले श्रद्धालुओं का जत्था नाथू ला पास से रवाना होगा. पहला जत्था 10 जुलाई 2025 को लिपुलेख दर्रे से होते हुए चीन में प्रवेश करेगा जबकि अंतिम जत्था 22 अगस्त 2025 को चीन से भारत के लिए प्रस्थान करेगा.
पहले से ज्यादा खर्चीली होगी यात्रा
इस बार कैलाश मानसरोवर यात्रा पहले से ज्यादा खर्चीली होगी क्योंकि चीन ने 17 से 20 हजार तक शुल्क बढ़ा दिया है. इस बार लिपुलेख दर्रे से यात्रा पर 1.84 लाख रुपए प्रति व्यक्ति देने होंगे. इसमें से 1100 डॉलर यानी करीब 95 हजार रुपए चीन की फीस होगी. आपको मालूम हो कि साल 2019 में 1.30 लाख रुपए प्रति व्यक्ति खर्च होते थे. उस समय चीन ने प्रति यात्री शुल्क 77 हजार रुपए लिए थे. नथूला पास से चीन प्रति यात्री 2400 डॉलर यानी करीब 2.05 लाख रुपए वसूल करेगा. इस मार्ग से यात्रा पर कुल खर्च 2.84 लाख रुपए आएगा. इस तरह से लिपुलेख दर्रे से 17000 रुपए और नथूला पास से 25000 रुपए तक खर्च बढ़ा है. चीन का कहना है कि साल 2019 के मुकाबले आज के डॉलर के रेट में काफी अंतर है. वह वीजा और अन्य दस्तावेजों पर यह पैसा खर्च करता है. इसी को ध्यान में रखते हुए उसने इस साल यात्रा शुल्क को बढ़ा दिया है.
इस बार लगेगा ज्यादा समय
लिपुलेख मार्ग से पहले से कैलाश मानसरोवर यात्रा में 20 से 21 दिन लगते थे. इस बार 23 दिन लगेंगे. इसकी वजह दिल्ली में 3 दिन बीताना है. पहले दिल्ली में एक दिन में डॉक्यूमेंट्स की जांच हो जाती थी. इस बार विदेश मंत्रालय ने दिल्ली में तीन दिन स्वास्थ्य और डॉक्यूमेंट्स की जांच के लिए रखा है. यात्रियों को नाथूला से यात्रा में 25 दिन लगेंगे. पहले 23 दिन लगते थे. इस बार यात्री 10 दिन तिब्बत तो 15 दिन भारत में बिताएंगे. नाथूला से कैलाश पर्वत 210 किमी तो वहीं लिपुलेख से 96 किलोमीटर दूर है. इस बार चीन ने सख्त गाइडलाइन बनाई है. इस बार यात्री मानसरोवर झील में पूजन सामग्री नहीं डाल सकेंगे.
इन जरूरी बातों का रखें ध्यान
कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन कराने के बाद दिल्ली में कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन कराना होता है. इसके बाद यात्रा के दौरान भी कुछ डॉक्यूमेंट अपने पास रखना अनिवार्य है. श्रद्धालुओं को अपने पास रजिस्ट्रेशन स्लिप, ई-पास या परमिट, मेडिकल सर्टिफिकेट, ट्रैवल इंश्योरेंस डॉक्यूमेंट, टिकट या बुकिंग की कॉपी, स्टे की डिटेल्स, ID कार्ड, पासपोर्ट, हाल की रंगीन फोटो, ₹100 के स्टाम्प पेपर पर बना इंडेग्निटी बॉन्ड, इमरजेंसी में हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू परमिशन फॉर्म, चीन की सीमा पर मरने पर वहीं अंतिम संस्कार का परमिशन फॉर्म जरूर रखना चाहिए.
कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को अपने पास मेडिकल किट जरूर रखने चाहिए. इस किट में जरूरी दवाइयां, बैंडेज और सर्जिकल मास्क होने चाहिए. यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु अपने पास गर्म कपड़े, रेनकोट, मजबूत जूते, टोपी और ग्लव्स जरूर रखें. ट्रैवल एजेंसी वाले खाने का अरेंजमेंट तो करेंगे, लेकिन फिर भी आप अपने साथ चिप्स, कैंडी, जूस वगैरह जैसी चीजें जरूर ले जाओ. ट्रेकिंग के दौरान हल्की-फुल्की स्नैकिंग बहुत काम आती है. नेपाल और तिब्बत में इंडियन करेंसी एक्सेप्ट नहीं होती. इसलिए या तो पहले से कुछ फॉरेन करंसी अरेंज कर लें या फिर अपने टूर ऑपरेटर से हेल्प ले लें. साथ में कैश भी रखें क्योंकि वहां इंटरनेशनल कार्ड्स काम नहीं करते. यात्रा के दौरान पहाड़ों में अकेले घूमने का रिस्क न लें. हमेशा अपने ग्रुप के साथ रहें.
कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील का है धार्मिक महत्व
चीन के नियंत्रण वाले तिब्बत में कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील स्थित है. कैलाश पर्वत हिमालय की सबसे ऊंची चोटियों में से एक है. कैलाश पर्वत न सिर्फ हिंदू बल्कि बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी आस्था का केंद्र है. हिंदुओं की मान्यता है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का वास स्थल है और उसकी परिक्रमा करने और मानसरोवर झील में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि मानसरोवर झील को ब्रह्मा जी ने बनाया था.