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Kalash Stolen from Red Fort: हीरे, माणिक्य और पन्ना से सजा था एक करोड़ी कलश, जैन समाज के लिए रखता है धार्मिक महत्व... लाल किले से चोरी हुए कलश के बारे में जानिए सब कुछ

सीसीटीवी फुटेज में एक संदिग्ध व्यक्ति धोती-कुर्ता पहने हुए दिखा, जो कई दिनों से आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं के बीच घुल-मिल रहा था. उसने भीड़ का फायदा उठाकर कलश को एक थैले में रखकर चुरा लिया. पुलिस ने संदिग्ध की पहचान कर ली है और जल्द गिरफ्तारी की संभावना जताई है. 

Photo: Screengrab Photo: Screengrab

दिल्ली के लाल किले के परिसर में चल रहे जैन समाज के 10 दिवसीय कार्यक्रम दसलक्षण महापर्व (Daslakshan Mahaparv) के दौरान चोरी हुए कलश की वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर हलचल मच गई है. यह चोरी बुधवार को हुई थी और पुलिस ने मामला भी दर्ज कर लिया है.

जल्द ही सीसीटीवी फुटेज के ज़रिए आरोपी की पहचान कर उसे दबोच भी लिया जाएगा, लेकिन चोरी हुए कलश की कीमत और उसका धार्मिक महत्व कई लोगों की दिलचस्पी का केंद्र बन गया है.

पुलिस के अनुसार, चोर ने लाल किले से एक करोड़ रुपए की कीमत का एक कलश तो चुराया ही है, इसके साथ ही उसने एक छोटा कलश और एक सोने का नारियल भी चोरी किया है. यह घटना बड़ी इसलिए भी है क्योंकि यह कलश जैन समाज के लिए काफी मायने रखता है. आइए जानते हैं दिल्ली में चोरी हुए इस कलश के बारे में.

शुद्ध सोने से बना है कलश
यह कलश दरअसल बिजनेसमैन सुधीर जैन का है और वह धार्मिक अनुष्ठानों में इसका प्रयोग करते हैं. कलश 760 ग्राम शुद्ध सोने से बना था और इसमें 150 ग्राम हीरे, माणिक्य, और पन्ना जड़े हुए हैं. इसकी अनुमानित कीमत लगभग एक करोड़ रुपये बताई जा रही है. यह चोरी लाल किले के 15 अगस्त पार्क में 28 अगस्त से नौ सितंबर तक चल रहे जैन समुदाय के धार्मिक अनुष्ठान, 'दशलक्षण महापर्व', के दौरान हुई. 

कैसे दिया चोरी को अंजाम?
कारोबारी सुधीर जैन रोजाना पूजा के लिए इस कलश को अपने घर से लाते थे. दो सितंबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान उत्पन्न अफरा-तफरी का फायदा उठाकर चोर ने इसे चुरा लिया. 

सीसीटीवी फुटेज में एक संदिग्ध व्यक्ति धोती-कुर्ता पहने हुए दिखा, जो कई दिनों से आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं के बीच घुल-मिल रहा था. उसने भीड़ का फायदा उठाकर कलश को एक थैले में रखकर चुरा लिया. पुलिस ने संदिग्ध की पहचान कर ली है और जल्द गिरफ्तारी की संभावना जताई है. 

क्या है कलश का धार्मिक महत्व?
जैन धर्म में कलश का विशेष धार्मिक महत्व है और इस चोरी हुए कलश का महत्व न केवल इसकी भौतिक कीमत के कारण था, बल्कि इसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के कारण भी था. जैन धर्म में कलश स्थापना भगवान का आह्वान करने और सकारात्मक, पवित्र ऊर्जा के संचार के लिए की जाती है. यह पूजा-पाठ और साधना को अधिक फलदायी बनाता है.

इस विशिष्ट कलश को विश्व शांति के लिए स्थापित किया गया था, जो जैन समुदाय की धार्मिक भावनाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है. कारोबारी सुधीर जैन ने कहा कि इस कलश की कीमत और महत्व का मूल्यांकन केवल धन के आधार पर नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह धार्मिक भावनाओं और विश्वास का प्रतीक है. इसमें जड़े हीरे, माणिक्य, और पन्ना इसकी सुंदरता को बढ़ाते थे, लेकिन इसका असली महत्व इसकी धार्मिक भूमिका में था. 

जैन अनुष्ठानों में कलश का उपयोग पूजा के दौरान शुद्धता और पवित्रता के प्रतीक के रूप में होता है. यह तीर्थंकरों की उपस्थिति को आमंत्रित करने और अनुष्ठान को शुभ बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह के कलश अक्सर विशेष अवसरों, जैसे दशलक्षण पर्व, में उपयोग किए जाते हैं, जो जैन धर्म में आत्म-शुद्धि और नैतिकता पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण पर्व है.