
माहदेव का प्रिय माह सावन चल रहा है. हर तरह हर-हर महादेव का जयकारा गूंज रहा है. कांवड़िए अपने कंधे पर कांवड़ लेकर आते-जाते दिख रहे हैं. हम आपको ऐसे कांवड़ियों के दल के बारे में बता रहे हैं, जो सैकड़ों किलोमीटर दूर से कांवड़ में गंगाजल लेकर भोलेनाथ को जलाभिषेक करने के लिए आ रहे हैं.
महाराष्ट्र के अकोला जिले में इस बार सावन के अंतिम सोमवार को भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा. अकोला के हायर पेट क्षेत्र स्थित जय भवानी मित्र मंडल के 20 कांवड़िए लगभग 1560 किलोमीटर दूर उत्तराखंड के केदारनाथ धाम से पवित्र गंगाजल की कलश लेकर अकोला के आराध्य देव राजराजेश्वर शिवलिंग का जलाभिषेक करने आ रहे हैं.
दो महीने से कर रहे पैदल यात्रा
ये सभी कांवड़धारी बीते दो महीनों से पैदल यात्रा कर रहे हैं. हर दिन औसतन 30 से 35 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए यह जत्था उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश होते हुए अब महाराष्ट्र के भीतर प्रवेश कर चुका है. यह कांवड़ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक अभूतपूर्व आस्था का परिचायक बन चुकी है. कांवड़ में लगे पवित्र जल की कलश और उसके साथ बजरंगबली की भव्य प्रतिमा से सुसज्जित करीब 500 किलो वजनी पालकी को कंधे पर उठाकर चलना, इन कांवड़ियों के लिए सिर्फ भक्ति का प्रतीक नहीं बल्कि भोलेनाथ की कृपा का प्रत्यक्ष प्रमाण है.
अब तक 6 ज्योतिर्लिंगों के पास के जल से कर चुके है जलार्पण
इस विशेष कांवड़ यात्रा के मुख्य आयोजक राजेश चौहान ने बताया कि हम हर साल देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से किसी एक के समीप की नदी से पवित्र जल लाकर अपने आराध्य भोलेनाथ को अर्पित करते हैं. अब तक हम छह ज्योतिर्लिंगों से ऐसा कर चुके हैं. हमारी मनोकामनाएं शिव कृपा से पूरी होती हैं. यही हमें यह साहसिक यात्रा दोहराने की शक्ति देता है. उन्होंने बताया कि यह परंपरा सिर्फ भक्तिभाव से नहीं, बल्कि धार्मिक अनुशासन और सामूहिक समर्पण से भरी होती है. हजारों किलोमीटर पैदल चलना, भारी पालखी को संभालना, बारिश, धूप, सड़कों की कठिनाइयों को पार करना, सबकुछ भोलेनाथ के चरणों में समर्पित है.
कांवड़ यात्रा का होगा भव्य स्वागत
यह कांवड़ यात्रा मराठी सावन सोमवार के अंतिम सोमवार को अकोला में होने वाली भव्य ‘भाव कांवड़ यात्रा’ में शामिल होगी. इस दौरान शहर में जगह-जगह कांवड़ियों का स्वागत पुष्पवर्षा से किया जाएगा. इस दौरान भंडारों का आयोजन किया जाएगा.अंतिम पड़ाव में यह जत्था राजराजेश्वर मंदिर पहुंचकर केदारनाथ से लाए पवित्र जल से शिवलिंग का अभिषेक करेगा.
आस्था की यह यात्रा बनी प्रेरणा
राजेश चौहान ने बताया कि अकोला की यह विशेष कांवड़ यात्रा आज राज्य ही नहीं, देशभर के भक्तों के लिए प्रेरणा बन गई है. भक्ति, परंपरा, आस्था और साहस का यह संगम शिवभक्तों के दृढ़ संकल्प और भोलानाथ की अनंत कृपा का प्रतीक है. हर-हर महादेव के जयघोष के साथ जब यह जत्था अकोला की गलियों से गुजरेगा तो पूरा शहर शिवमय हो उठेगा.
(धनंजय साबले की रिपोर्ट)