
महादेव के भक्तों को सावन माह (Sawan) के आने का इंतजार रहता है. यह महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है. इस माह भक्त शंकर भगवान और माता पार्वती की पूजा करते हैं. सावन के सोमवार को व्रत रखते हैं और कांवड़ (Kanwar) से गंगाजल लाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं. इस साल महादेव का प्रिय महीना सावन 11 जुलाई से शुरू हो रहा है, जो 9 अगस्त 2025 तक चलेगा. कांवड़ यात्रा भी 11 जुलाई 2025 से शुरू हो जाएगी. क्या आप जानते हैं कि कांवड़ यात्रा कितनी तरह की होती है और कांवड़ ले जाने का तरीका क्या है. यदि नहीं, तो हम आपको बता रहे हैं.
इतने तरह की होती है कांवड़ यात्रा
आपको मालूम हो कि कांवड़ यात्रा चार तरह की होती है. सामान्य कांवड़ यात्रा, डाक बम कांवड़ यात्रा, खड़ी कांवड़ यात्रा और दांडी कांवड़ यात्रा. इन सभी कांवड़ यात्राओं का एक विशेष महत्व है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि सावन के महीने में कांवड़ यात्रा करने से भगवान शिव भक्त की सभी मुरादें पूरी करते हैं. भक्त के जीवन में धन्य-धान्य की कमी नहीं रहती है. सभी रोग-दुख दूर हो जाते हैं. वैसे तो कांवड़ से जल लाकर भक्त सावन में किसी दिन भी शिवलिंग पर जलाभिषेक कर सकते हैं लेकिन सावन के सोमवार को जलाभिषेक करने का धर्मग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है.
1. सामान्य कांवड़ यात्रा
शिवभक्त सामान्य कांवड़ यात्रा के दौरान भगवा वस्त्र पहनकर अपने कंधे पर कांवड़ लेकर बोल बम, हर-हर महादेव का जयकारा लगाते हुए गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों से जल लेने के लिए जाते हैं. इस यात्रा के दौरान कांवड़िए रास्ते में रूक-रूक कर यात्रा करते हैं. सामान्य कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए पंडालों में रात्रि विश्राम कर सकते हैं. इसके बाद आगे की यात्रा शुरू कर सकते हैं और अंत में कांवड़ में लिए जल से शिवालयों में जाकर अभिषेक करते हैं.
2. डाक कांवड़ यात्रा
डाक कांवड़ यात्रा कठिन मानी जाती है. डाक कांवड़ यात्रा पर जाने वाले कांवरिए को डाक बम के नाम से भी जाना जाता है. डाक कांवड़ यात्रा में कांवड़िए अपने कांवड़ में जल लेकर महादेव को जलाभिषेक करने तक रास्ते में बिना कहीं रूके लगातार चलते हैं. इतना ही नहीं यह यात्रा गंगा व अन्य पवित्र नदियों से जल उठाने के 24 घंटे के अंदर पूरी करनी होती है. डाक कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए गंगाजल को लेकर बांस की कांवड़ के साथ तेजी से दौड़ते हैं. इस दौरान थकने पर वह अपना कांवड़ दूसरे दूसरे डाक कांवड़िए को दे सकते हैं. डाक बम को यात्रा के दौरान कोई नहीं रोकता है. इनके लिए अलग रास्ता बनाया जाता है.
3. खड़ी कांवड़ यात्रा
खड़ी कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों की मदद के लिए उनके साथ कोई न कोई सहयोगी चलते रहता है. जब कांवड़िए आराम करते हैं तो सहयोगी सदस्य कांवड़ अपने कंधे पर रखकर खड़ी अवस्था में चलने के अंदाज में कांवड़ को हिलाते रहते हैं. कांवड़ को स्थिर नहीं होने दिया जाता है.
4. दांडी कांवड़ यात्रा
आपको मालूम हो कि दांडी कांवड़ यात्रा बहुती ही कठिन मानी जाती है. दांडी कांवड़ यात्रा में कांवड़िए नदी तट से लेकर शिवधाम यानी शिवालयों तक दंड देते हुए पहुंचते हैं. इस दौरान कांवड़ पथ की दूरी वे अपने शरीर की लंबाई से मापते हुए पूरी करते हैं. इस कांवड़ यात्रा को पूरा करने में महीनों का समय लग जाता है.
कहां से कांवड़िए उठाते हैं जल
पश्चिम उत्तर प्रदेश और इसके आसपास के कांवड़िए हरिद्वार जल लेने जाते हैं. वे इसे मेरठ के पुरा महादेव या अपने घरों के आसपास के शिवालयों में चढ़ाते हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के कांवड़िए भागलपुर के साप सुलतानगंज से गंगा नदी से जल लेकर 108 किलोमीटर दूर बाबा वैद्यनाथ को अर्पित करते हैं. पश्चिम बंगाल के भक्त वहीं के शिव मंदिरों में जल अर्पित करते हैं.
कब-कब पड़ रहे सावन सोमवार
14 जुलाई 2025: सावन का पहला सोमवार.
21 जुलाई 2025: सावन का दूसरा सोमवार.
28 जुलाई 2025: सावन का तीसरा सोमवार.
4 अगस्त 2025: सावन का चौथा सोमवार.