
करवा चौथ का व्रत भारतीय संस्कृति में महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं और चंद्रमा की पूजा करती हैं. चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है. इस व्रत का उद्देश्य पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करना है. करवा चौथ का व्रत पहले पति-पत्नी दोनों रखते थे लेकिन कालांतर में यह महिलाओं तक सीमित हो गई.
बन रहा दुर्लभ संयोग
इस साल करवा चौथ पर 9 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है, जब चतुर्थी का चांद पंचमी तिथि पर दिखाई देगा. ज्योतिष गणना के अनुसार, चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे शुरू होकर 10 अक्टूबर 2025 की शाम 7:37 बजे समाप्त हो जाएगी. 10 अक्टूबर को चंद्रोदय का समय रात 8:14 बजे बताया गया है. इस तरह इस बार चतुर्थी का चांद नहीं दिखेगा, जो इसे और भी खास बनाता है.
इस साल करवा चौथ पर सिद्धि योग और शिववास योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं. सिद्धि योग में की गई पूजा और व्रत से वैवाहिक जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शिववास योग, जो 200 साल बाद बन रहा है, भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है. ज्योतिषियों के अनुसार, इन योगों में की गई पूजा से पति-पत्नी के बीच प्रेम और अटूट बंधन बना रहता है.
पूजा का शुभ मुहूर्त
करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त 10 अक्टूबर को शाम 5:57 से 7:11 तक रहेगा. इस दौरान सुहागिन महिलाएं विधिपूर्वक व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करेंगी.
सर्गी की परंपरा और व्रत की तैयारी
करवा चौथ की शुरुआत सर्गी खाने से होती है, जो सास द्वारा दी जाती है. सर्गी में नारियल, मौसमी फल, खीरा, सूखे मेवे, दही और दूध से बनी चीजें शामिल होती हैं. यह दिनभर निर्जला व्रत रखने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है.
करवा चौथ की पूजा विधि
इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक व्रत रखती हैं. लाल, गुलाबी, पीले या ऑरेंज वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है. 16 शृंगार और सात्विक भोजन का पालन करना चाहिए. अगर स्वास्थ्य खराब हो तो महिलाएं जल और फल का सेवन कर सकती हैं.अगर कोई महिला अस्वस्थ है तो उसके स्थान पर पति भी व्रत रख सकते हैं.
पति-पत्नी के संबंध सुधारने के उपाय
यदि पति-पत्नी के बीच विवाद हो या दूरियां बढ़ गई हों, तो पत्नी मध्यरात्रि को पीले या लाल वस्त्र पहनकर भगवान गणेश की पूजा कर सकती हैं. पीले वस्त्र में हल्दी की गांठ बांधकर रखने से संबंधों में सुधार होता है. विवाद समाप्त करने के लिए लाल वस्त्र पहनकर गणेश जी को सिंदूर अर्पित करने और मंत्र जप करने का सुझाव दिया गया,
संतान की उन्नति के उपाय
संतान की उन्नति के लिए हर बृहस्पतिवार को भगवान कृष्ण की पूजा का सुझाव दिया गया. माता-पिता को पीले फूल अर्पित करके 'क्लीन कृष्ण क्लीन' मंत्र का जप करना चाहिए. इसके बाद पीला फूल संतान को देकर उसे आशीर्वाद देना चाहिए. यह उपाय संतान के जीवन में उन्नति और सफलता लाने में सहायक होता है.