
देश का पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात के वेरावल में अरब सागर किनारे विराजमान है. जिसके दर्शन मात्र से कई रोगों से मुक्ति मिलने की मान्यता है. इस मंदिर में देवों के देव महादेव विराजमान हैं. यह हिंदुओं के लिए पवित्र स्थान है. कहा जाता है कि इसका निर्माण खुद चंद्रदेव सोमराज ने किया था. इसका जिक्र ऋग्वेद में भी मिलता है. चलिए आपको बताते हैं कि सोमनाथ महादेव मंदिर इतना खास क्यों है? क्या है इसकी महिमा?
हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है मंदिर-
सोमनाथ महादेव मंदिर जो गुजरात के वेरावल के अरब सागर किनारे सदियों से स्थित है. यह मंदिर हिंदुओं की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है और इसी वजह से सदियों से इस मंदिर पर आक्रमण होते रहे हैं. लेकिन कई बार टूटने के बाद भी ये मंदिर हर बार बनता रहा. माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी इस मंदिर को द्वापर युग में बनाया था.
भगवान चंद्रदेव ने किया था सालों तक तप-
सोमनाथ महादेव मंदिर में करोड़ों भक्त बाबा से रूबरू होने के लिए आते हैं. सोमनाथ महादेव मंदिर की पिछले 37 सालों से पूजा कर रहे पुजारी दीपक त्रिवेदी ने बताया कि इस मंदिर का खास माहात्म्य है. भगवान चंद्रदेव ने यहां पर कई साल तप किया था और भगवान शिव को प्रसन्न किया था. जिसके कारण सोमनाथ महादेव नाम से ये शिवलिंग जाना जाता है.
उन्होंने बताया कि हर साल कार्तिक पूर्णिमा की रात ठीक 12 बजे सोमनाथ महादेव पर चंद्र स्थिर होता है. भगवान शिव चंद्र को अपने मस्तक पर धारण करते है और यह नजारा देखने के लिए हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन पांच लाख श्रद्धालु सोमनाथ पहुंचते हैं.
क्या है प्रचलित कहानी-
सोमनाथ महादेव मंदिर हजारों साल पुरानी कथा के साथ जोड़ा जाता है. दक्ष प्रजापति की 27 कन्या से चंद्रदेव ने शादी की थी. मगर चंद्र रोहिणी नामक पत्नी से ज्यादा प्यार करते थे और बाकी सबके साथ भेदभाव रखते थे. इसी कारण दक्ष प्रजापति को गुस्सा आया और उन्होंने चंद्र को श्राप दिया था कि तुम्हें अपनी खूबसूरती पर बड़ा घमंड है, उस शरीर में क्षय का रोग होगा. जिसके कारण चंद्र का तेज कम होने लगा. चंद् देव को ब्रह्माजी ने बताया कि वर्तमान सोमनाथ के समंदर किनारे जाकर भगवान शिव की आराधना कीजिए. जिसके कारण हजारों वर्ष चंद्र ने तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया. भगवान शिव ज्योति रूप में प्रगट होकर दर्शन दिया था. इसलिए सोमनाथ के नाम से यह शिवालय प्रचलित हुआ. सोम यानी चंद्र, नाथ यानी शिव.. भगवान सोमनाथ ने चंद्र के क्षय रोग का नाश किया. मगर आज भी चंद्र में 15 दिन तेज होता है और 15 दिन चंद्र तेज विहीन होता है. यानी कि एक महीने में 15वें दिन पूनम होती है और दूसरे 15 दिन पर अमावस्या. चंद्र को जो श्राप मिला था, उनकी वजह से ऐसा होता है.
अगर कुष्ठ रोगी सोमनाथ महादेव के दर्शन करते हैं और मृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं. उनको कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है.
(दिलीपभाई की रिपोर्ट)
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