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Lohri 2022 Date: साल 2022 में कब है लोहड़ी ? जानिए इस त्योहार से जुड़ी कहानियां और खासियत

भगवान शिव-सती के अलावा लोहड़ी से लोक कथा और मान्यताएं भी जुड़ी हैं, जिनके अनुसार मुगलकाल के दौरान पंजाब का एक व्यापारी वहां की लड़कियों और महिलाओं को कुछ पैसे के लालच में बेचने का व्यापार किया करता था. उसके इस आतंक से इलाके मे काफी दहशत का माहौल रहता था और लोग अपनी बहन बेटियों को घर से बाहर नहीं निकलने दिया करते थे. लेकिन वह कुख्यात व्यापारी घरों में घुसकर जबरन महिलाओं और लड़कियों को उठा लिया करता था.

मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है लोहड़ी का पर्व
हाइलाइट्स
  • मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है लोहड़ी का पर्व

  • भगवान शिव और सती से जुड़ी हैं लोहड़ी के त्योहार की पुरातन मान्यताएं

Lohri 2022 Date and Significance: हर साल पौष महीने में कड़कड़ाती ठंड में मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है. वैसे तो लोहड़ी मूलरूप से  पंजाब हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के लोग मनाया करते हैं. लेकिन धीरे धीरे ये पूरे देश में मनाया जाने लगा.  पारंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुआई और कटाई से जुड़ा एक त्योहार है. इस मौके पर पंजाब में नई फसल की पूजा भी होती है. 

2022 में कब है लोहड़ी (Lohri 2022 Date)

साल 2022 में मकर संक्रांति  14 जनवरी को है, और इसके ठीक एक दिन पहले 13 जनवरी को लोहड़ी का पर्व मनाया जाएगा.  

कैसे मनाई जाती है लोहड़ी 

लोहड़ी का  दिन नवविवाहित जोड़े और नवजात शिशु के लिए बेहद खास होता है क्योंकि इस दिन ये लोग आग में आहूति देकर सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं. 

लोहड़ी की रात लोग एक साथ आकर खुले आसमान के नीचे आग जलाकर परिवार और पड़ोसियों के साथ  जश्न मनाते हैं, और  लोक गीत गाते हुए नए धान के लावे, मक्का, गुड़, रेवड़ी व मूंगफली पवित्र अग्नि में डालते हुए आग की परिक्रमा करते  हैं. 


लोहड़ी से जुड़ी मान्यताएं (Why celebrate Lohri / Lohri History)

हिंदु पौराणिक कथा के मुताबिक लोहड़ी का पर्व भगवान शिव और देवी सती के जीवन से जुड़ा है. कथा के अनुसार माता पार्वती के पिता प्रजापति दक्ष ने यज्ञ आयोजन किया और अपने दामाद भगवान शिव को इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया.  इससे नाराज होकर देवी सती अपने पिता के घर पहुंचीं और वहां पति भगवान शिव के बारे में कटु वचन और अपमान सुन वह यज्ञ कुंड में समा गईं. 

ऐसा माना जाता है  कि उनकी याद में ही लोहड़ी के दिन आग जलाया जाता है. 

लोहड़ी की स्थानीय लोक कहानी (Folk tale Story of Lohri)

भगवान शिव-सती के अलावा लोहड़ी से लोक कथा और मान्यताएं  मुगलकाल  से भी जुड़ी हैं, कहा जाता है कि  मुगलकाल के दौरान पंजाब का एक व्यापारी लड़कियों और महिलाओं को  बेचने का व्यापार किया करता था. इस आतंक से इलाके मे काफी दहशत का माहौल रहता था लोगों ने अपनी बहन -बेटियों को घरों . लेकिन वह कुख्यात व्यापारी घरों में कैद रखना शुरू कर दिया था, लेकिन वो व्यापारी जबरदस्ती  घरों में घुसकर  महिलाओं और लड़कियों को उठा लिया करता था. 

महिलाओं और लड़कियों को इस आतंक से बचाने के लिए दुल्ला भाटी नाम के नौजवान शख्स ने व्यापारी को कैद कर उसकी हत्या कर दी. कुख्यात व्यापारी का अंत करने और लड़कियों को उससे बचाने के लिए पंजाब में सभी ने दुल्ला भाटी का शुक्रिया किया और तभी से लोहड़ी का पर्व दुल्ला भाटी के याद में भी मनाते हैं, लोग  उनकी याद में इस दिन लोकगीत भी गाते हैं.