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Lord Ram Stuti: भगवान राम की इन स्तुतियों से जीवन होगा मंगलकारी, जानें सावधानियों से लेकर पाठ का तरीका

जीवन को मंगलकारी बनाने के लिए जरूरी है भागवान का साथ. भगवान राम का साथ पाने के लिए थामें उनकी स्तुतियों का हाथ.

Lord Shri Ram Lord Shri Ram

भगवान राम की स्तुतियां बहुत मंगलकारी होती है. श्री राम की स्तुति से सेहत की रक्षा से लेकर उच्च पद प्राप्त होता है. लेकिन जीवन में मंगल के लिए भगवान राम की किस स्तुति का कैसे पाठ करना चाहिए, यह जानना काफी जरूरी है. तो चलिए बताते हैं आपको उनकी स्तुति का महत्व और पाठ का तरीका.

स्तुति से होगा परिवार का कल्याण
भगवान राम की मुख्य स्तुति है "श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन". यह स्तुति तुलसीदास जी द्वारा लिखित विनय पत्रिका में उल्लिखित है. यह स्तुति भगवान के स्वरुप और गुणों का वर्णन करती है. नियमित रूप से इस स्तुति को करने से संस्कार शुद्ध होते हैं. व्यक्ति को ईश्वरीय कृपा का अनुभव होता है. नित्य संध्याकाल में इस स्तुति को करना सबसे ज्यादा शुभ होता है. परिवारजनों के इस स्तुति को करने से समस्त परिवार का मंगल होता है. 

आयु संकट में काम आएगी दूसरी स्तुति
भगवान राम की दूसरी स्तुति "राम रक्षा स्तोत्र" है. वैसे तो नियमित रूप से इसका पाठ किया जा सकता है. लेकिन अगर स्वास्थ्य या आयु का संकट हो तो इस पाठ को जरूर करना चाहिए. मारक दशाओं की स्थिति में इस पाठ को करना अचूक फल देता है. इसका पाठ करते समय सामने एक लोटे में जल भरकर रख लें. पाठ के बाद उस जल को शरीर पर लगाएं. इससे शरीर के हर अंग की रक्षा होगी. 

नौकरी की बाधा दूर करेगी ये स्तुति
भगवान राम की तीसरी स्तुति उत्तरकाण्ड में भगवान शिव के द्वारा की गई स्तुति है. यह स्तुति है "जय राम रमा रमनं शमनं". यह स्तुति भगवान राम के राज्याभिषेक के समय की है. इस स्तुति को नित्य करने से राज्य पद और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है. अगर नौकरी सम्बन्धी कोई समस्या हो या उच्च पद प्राप्त करना चाहते हों तो, इस स्तुति को नित्य प्रातः करना चाहिए.
 
मुकदमेबाजी में अचूक स्तुति
भगवान राम की चौथी स्तुति, भगवान सूर्य की स्तुति, आदित्य ह्रदय स्तोत्र है. यह स्तुति रामायण के युद्धकाण्ड में वर्णित है. युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए भगवान राम ने सूर्य देव की यह स्तुति की थी. किसी भी तरह के युद्ध, विवाद और मुकदमे में सफलता के लिए इसका पाठ अचूक है. राज्य कृपा और राजकीय सेवा के लिए भी इसका पाठ किया जाता है. प्रातःकाल उगते हुये सूर्य के समक्ष इसका पाठ करना तुरंत फलदाई होता है.