
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था को अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया जा रहा है. लखनऊ के अलीगंज स्थित नया हनुमान मंदिर में अब वांछित अपराधियों की पहचान एआई आधारित फेस रिकग्निशन तकनीक से की जाएगी. यह नई तकनीक धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को और मजबूत करेगी.
जानिए कैसे काम करेगी ये तकनीक
पर्यटन विभाग ने पहले हनुमान सेतु मंदिर में इस तकनीक का परीक्षण किया था. अब यह तकनीक अलीगंज के मंदिर में भी लागू कर दी गई है. इसके जरिए मंदिर में प्रवेश करते ही आगंतुकों के चेहरे स्कैन किए जाएंगे और यदि कोई अपराधी पाया गया तो तत्काल अलर्ट भेजा जाएगा.
क्या है इस तकनीक की खासियत?
यह तकनीक चेहरे की पहचान के जरिए हर आगंतुक का डेटा रियल टाइम में स्कैन करती है.
6500 से अधिक लोगों का रिकॉर्ड अभी तक परीक्षण के दौरान दर्ज किया जा चुका है.
यह सिस्टम भीड़ नियंत्रण, संदिग्ध गतिविधियों की पहचान और पहली बार आने वाले श्रद्धालुओं की निगरानी में भी सक्षम है.
यह सुरक्षा बलों को तुरंत अलर्ट भेजता है जिससे समय पर कार्रवाई की जा सके.
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि लखनऊ के बाद यह तकनीक अयोध्या, प्रयागराज, वाराणसी, मथुरा और वृंदावन के प्रमुख मंदिरों में भी लागू की जाएगी. इनमें अयोध्या का श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, प्रयागराज का बड़ा हनुमान मंदिर, वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा-वृंदावन के कई प्रसिद्ध मंदिर शामिल हैं.
इस तकनीक की खास बात ये है कि ये न सिर्फ वांछित अपराधियों की पहचान करती है, बल्कि भीड़ नियंत्रण, संदिग्ध गतिविधियों और पहली बार आने वाले श्रद्धालुओं की निगरानी में भी सक्षम है. परीक्षण के दौरान इस तकनीक ने 6500 से ज्यादा आगंतुकों का डेटा रिकॉर्ड किया है. यह तकनीक सुरक्षा बलों को तुरंत अलर्ट भेजकर किसी भी खतरे से निपटने में मदद करेगी तो आने वाले दिनों में धार्मिक आस्था के इन केंद्रों पर तकनीक का पहरा और मजबूत होगा.