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Mahakal: महाकाल पर चढ़ाई जा रही है सहस्त्रधारा, बाबा को गर्मी से बचाने के जतन हुए शुरू

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार अलग-अलग मौसम का फर्क न सिर्फ आम इंसान बल्कि भगवान पर भी पड़ता है. इसलिए सभी जगह मौसम के हिसाब से भगवान के लिए इंतजाम किए जाते हैं. जैसे महाकाल मंदिर में पुजारियों ने महाकाल को गर्मी से बचाने के जतन शुरू कर दिए हैं.

Mahakal Temple Mahakal Temple

देश के कई हिस्सों में गर्मी लगातार बढ़ रही है और इससे बचने के लिए लोगों की कोशिशें जारी हैं. घरों में एसी, कूलर चलाने पर जोर है तो बहुत सी जगह पर कुछ पारंपरिक तरीके अपनाकर गर्मी से बचा जा रहा है. दिलचस्प बात यह है कि गर्मी के बढ़ते तेवर सिर्फ लोगों के लिए नहीं बल्कि भगवान के लिए भी बदलाव लाते हैं. जैसा कि मध्य प्रदेश के महाकालेश्वर मंदिर में हो रहा है. 

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल को गर्मी से बचाने के लिए खास इंतजाम शुरू हो गए हैं. यहां पर मंदिर के पुजारियों ने भगवान महाकाल की ठंडक के लिए जतन शुरू कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि गर्मी के कारण मंदिर में बाबा महाकाल को सहस्त्र जल धारा चढ़ाई जा रही है. और यह कुछ नया नहीं है बल्कि हर साल गर्मी के मौसम में मंदिर की इस परंपरा का पालन किया जाता है.  

क्या है महाकाल की परंपरा 
हर साल वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से राजा महाकाल को गर्मी से निजात के लिए सतत जल धारा के माध्यम से ठंडक दी जाती है. हाल ही में, यहां शिवलिंग के ऊपर करीब 11 मटकियां लगाईं गई है जिनसे ठंडा पानी सतत गिर रहा है. जल धारा का यह क्रम ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तक बिना रुके जारी रहता है. इन मटकियों को गंतिकाएं भी कहा जाता है. 

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अलग-अलग नदी से आया पानी

मटकियों में अलग अलग पवित्र नदियों का जल भरा गया है. हर एक मटकियों के माध्यम से अलग अलग जलधार द्वारा भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता हैं. बाबा को यहां जलधारा प्रतिदिन सुबह 6 बजे से चढ़ना शुरू हो जाती है और शाम 5 बजे तक निरंतर जारी रहती है. 

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है महाकालेश्वर 
आपको बता दें कि भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक उज्जैन के महाकाल, जिनके दर्शन करने दूर-दूर से भक्तजन पहुंचते हैं. महाकाल को काल यानी की समय का देवता माना जाता है. महाकाल कॉरिडोर बनने के बाद यहां लोगों का आना-जाना बहुत ज्यादा बढ़ गया है. खासकर कि महाशिवरात्रि और सावन के महीने में अलग ही धूम रहती है. महाकाल मंदिर में होने वाली महाभस्म आरती यहां की पहचान है. 

(संदीप कुलश्रेष्ठ की रिपोर्ट)